PM Modi की डिजिटल क्रांति ने वैश्विक पटल पर देश को दिलाई नई पहचान, ‘डिजिटल पावर हाउस’ बना भारत

Upendrra Rai
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Chairman & Managing Director, Editor-in-Chief, The Printlines | Bharat Express News Network
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दुनिया के साथ कदम मिलाकर अगर चलना है तो डिजिटल तकनीक का सहारा लेना पड़ेगा. आज के दौर में दुनिया के सभी देश एकदूसरे से कनेक्टेड हैं. और ये संभव हो पाया है डिजिटल तकनीक के दम पर. डिजिटल टेक्नालॉजी एक ऐसा हथियार बन गया है जिसका इस्तेमाल कर तमाम देश पूरी दुनिया को अपनी ताकत से प्रभावित कर रहे हैं. इसके साथ ही वैश्विक पटल पर अपने देश की तकनीक की ताकत के दम पर अलग पहचान बना रहे हैं. यह लेख इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार अपनी शक्ति और प्रभाव को वैश्विक मंच पर दिखाने के लिए डिजिटल तकनीक का लाभ उठा रही है, साथ ही प्रमुख पहलों, उपलब्धियों और इन बदलावों के असल मायने क्या हैं ?

डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट

भारत ने डिजिटल रूप से सशक्त राष्ट्र की नींव रखते हुए, अपने डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है. सरकार की प्रमुख पहल, डिजिटल इंडिया का उद्देश्य डिजिटल खाई को पाटते हुए नागरिकों को डिजिटल सेवाओं तक पहुंच प्रदान करना है. इंटरनेट कनेक्टिविटी के प्रसार और स्मार्टफोन को व्यापक रूप में अपनाने में भारत को एक विशाल डिजिटल नेटवर्क बनाने में सक्षम बनाया है, जो देश भर में लाखों लोगों को जोड़ता है.

नवोन्मेष और उद्यमिता

भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है, जो डिजिटल प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित है. नवाचार, उद्यमशीलता और इनकी विघटनकारी तकनीकों पर ध्यान देने के साथ, भारतीय स्टार्टअप्स ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा है. मोदी सरकार की पहल जैसे “स्टार्टअप इंडिया” और “मेक इन इंडिया” ने युवा उद्यमियों के लिए एक बेहतरीन वातावरण बनाया है साथ ही तकनीकी नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा दिया है और उन्हें वैश्विक स्तर पर कंपटीट करने में सक्षम बनाया है.

साइबर सुरक्षा और डिजिटल रक्षा

इस डिजिटल युग में साइबर सुरक्षा के बढ़ते महत्व को स्वीकार करते हुए, भारत ने भी अपनी साइबर सुरक्षा को मजबूत किया है. देश ने मजबूत साइबर सुरक्षा ढांचे के विकास और राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक, राष्ट्रीय महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना संरक्षण केंद्र जैसे समर्पित संगठनों की स्थापना की है. इसके अलावा अन्य देशों के सहयोग के साथ ही भारत की साइबर सुरक्षा पहल का उद्देश्य अपनी डिजिटल संपत्ति की रक्षा करना और एक सुरक्षित डिजिटल हब के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत बनाए रखना है.

डिजिटल डिप्लोमेसी

भारत ने अपनी सॉफ्ट पावर का विस्तार करने और वैश्विक समुदाय के साथ जुड़ने के लिए डिजिटल डिप्लोमेसी को प्रभावी ढंग से नियोजित किया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, डिजिटल कैंपेन और डिजिटल पहल के माध्यम से भारत ने अपनी सांस्कृतिक विविधता, आर्थिक विकास और तकनीकी कौशल का विस्तार किया है. भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) और ई-वीजा कार्यक्रम जैसे प्लेटफार्मों ने लोगों के विचारों और सुझावों को एकदूसरे से साझा करने में मदद दिलाई है. इसके अलावा शिक्षा, पर्यटन और व्यापार के लिए भारत की क्षमताओं को बढ़ाया है.

अंतरिक्ष और डिजिटल कनेक्टिविटी

भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने उपग्रह प्रौद्योगिकी में शानदार प्रगति करते हुए दूरस्थ और कम सेवा वाले क्षेत्रों में डिजिटल कनेक्टिविटी को मजबूत करने में भी सक्षम बनाया गया है. दक्षिण एशियाई उपग्रह (जीसैट-9) और गगनयान मिशन जैसी पहलों ने न केवल क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाया है बल्कि भारत को सीमाओं के पार इंटरनेट पहुंच और डिजिटल सेवाओं का विस्तार करके डिजिटल खाई को पाटने में एक प्रमुख भूमिका निभाने वाले के तौर पर स्थापित किया है.

डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर

मोदी सरकार ने ने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए तीन चीजों पर जोर दिया. पहचान, भुगतान और डेटा प्रबंधन. जिसमें साल 2010 में पहचान के लिए कांग्रेस सरकार ने आधार की शुरुआत की थी. जिसे 2014 में केंद्र में मोदी की सरकार आने के बाद अभियान चलाकर लोगों को आधार कार्ड से जोड़ा. आधार एक बायोमेट्रिक डिजिटल पहचान प्रणाली है. जिसमें अब भारत के लगभग सभी 1.4 बिलियन लोग शामिल हैं. दूसरा यूपीई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) है, जो डिजिटल भुगतान को मैसेज भेजने या फिर क्यूआर कोड स्कैन करने जितना आसान बना दिया है. यूपीआई की शुरुआत साल 2016 में हुई थी. यूपीआई की शुरुआत ने एक नई क्रांति ला दी. लोगों को नकद रुपये अपने वॉलेट या पर्स में रखने से आजादी दी. लोगों के पर्स या फिर वॉलेट की जगह मेबाइल फोन ने ले ली.

लोगों को खरीदारी करनी हो, बिजली का बिल या फिर फोन का बिल जमा करना बेहद आसान हो गया. घर बैठे लोगों को एकसाथ कई सुविधाएं मिल गईं. इसके अलावा डीपीआई का तीसरा स्तंभ डेटा प्रबंधन है- लोगों को अपने अहम दस्तावेजों को काफी संभालकर रखना होता है. कुछ दस्तावेज ऐसे होते हैं जिन्हें रोज लेकर घर से निकलना पड़ता है. ऐसे में सरकार ने डेटा मैनेजमेंट के लिए डिजिलॉकर सिस्टम की शरुआत की. इसके लिए 12 अंकों वाले आधार संख्या का इस्तेमाल कर अपने कागजातों को ऑनलाइन सुरक्षित रखा जा सकता है. जिसमें टैक्स रिकॉर्ड, टीकाकरण प्रमाणपत्र, हाई स्कूल मार्कशीट और अन्य दस्तावेजों से जुड़ा हुआ है. एक भारतीय भुगतान करने, अपनी पहचान सत्यापित करने और महत्वपूर्ण व्यक्तिगत कागजात तक पहुंचने के लिए अपने बटुए के बजाय अपने फोन का उपयोग कर सकता है. मतलब एक मोबाइल फोन सिंगल विंडो कार्यक्रम की कार्य करता है.

ई-गवर्नेंस और डिजिटल सेवाएं

डिजिटल तकनीक ने दक्षता, पारदर्शिता और पहुंच को बढ़ाते हुए भारत सरकार के शासन में क्रांति ला दी है. आधार, गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स नेटवर्क (जीएसटीएन) और यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) जैसे ई-गवर्नेंस प्लेटफॉर्म की शुरूआत ने प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित और आसान बना दिया है. इसके अलावा तमाम योजनाओं में होने वाले भ्रष्टाचार को कम करते हुए कार्यों में पार्दर्शिता लाने का काम किया है. व्यापार करने वाले उद्यमियों या फिर व्यापारियों को भी सुविधाएं मुहैया कराई है.

इन डिजिटल पहलों ने न केवल घरेलू परिदृश्य को बदल दिया है बल्कि भारत को विश्व स्तर पर डिजिटल शासन में अग्रणी के रूप में भी पेश किया है. भारत के डिजिटल परिवर्तन ने इसे वैश्विक डिजिटल क्रांति में सबसे आगे खड़ा कर दिया है, जिससे देश को विश्व मंच पर अपनी शक्ति दिखाने का मौका मिला है. डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का लाभ उठाकर, नवाचार को बढ़ावा देकर, प्रभावी ई-गवर्नेंस सुनिश्चित करके, साइबर सुरक्षा को प्राथमिकता देकर, और डिजिटल डिप्लोमेसी में शामिल होकर, मोदी सरकार ने भारत को एक डिजिटल पावर हाउस के रूप में स्थापित किया है.

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