Deoband News: इस्लामी तालीम के विश्व प्रसिद्ध केंद्र दारुल उलूम देवबन्द ने एक बार फिर से तालिबानी फरमान जारी किया है. इस फरमान के बाद देश मे राजनीति तेज होने लगी है. दारुल उलूम देवबन्द ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि यहां पर शिक्षा ग्रहण करने के साथ ही कोई भी अंग्रेजी या दीगर शिक्षा नहीं ग्रहण करेगा. अगर कोई ऐसा करते हुए पाया जाता है तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. और उसको सीधे बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा. इस फैसले के बाद देश भर में राजनीति तेज होने लगी है.
जल संसाधन मंत्री ने साधा निशाना
उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह इस फैसले पर हमला बोला है. उन्होने उलेमाओं को नसीहत देते हुए कहा कि देश के मुसलमान पीएम नरेंद्र मोदी पर भरोसा करते है. वो किसी के बहकावे में नहीं आने वाले हैं. उन्होंने यहां तक कह दिया कि देश के लोगों ने फिर एक बार फिर से नरेंद्र मोदी को अपना पीएम मान लिया है. पीएम नरेंद्र मोदी सभी का ध्यान रखते हैं और सभी धर्मों के सम्मान के लिए आगे आते हैं. ऐसे में अगर कोई किसी को बी बकाने की कोशिस करता है तो वो सफल नहीं हो पाएगा.उन्होंने कहा कि पीएम मोदी जी ने सबका साथ सबका विकास की नीति पर चलते हुए हर वर्ग का विकास किया है.
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जानकारी दें कि दारुल उलूम के प्रभारी मौलाना हुसैन हरिद्वारी ने एक फतवा जारी करते हुए कहा कि दारुल उलूम में शिक्षा ग्रहण के दौरान छात्रों को दीगर किसी तालीम जैसे इंग्लिश वगैरह की इजाजत नहीं होगी. यदि इस नियम का पालन करते हुए नहीं पाया जाता है तो उसको निष्कासित कर दिया जाएगा. अब इस आदेश के बाद से कई छात्रों को झटका लगा है जो अन्य भाषाओं को सीखना चाहते हैं. इसके लिए वो किसी अन्य शिक्षण संस्थानों में जाते हैं.
पहले आलिम बाद में इंजीनियर
जानकारी दें कि इस आदेश को लेकर दारुल उलूम देवबंद के उस्ताद और जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मदरसा हमारा दीन है, हमारी दुनिया नहीं. उन्होंने छात्रों से कहा कि सबसे पहले आप आलिम-ए-दीन और उसके बाद इंजीनियर बनिए. उन्होंने कहा कि तालीम हासिल कर के अपनी जिंदगी को रोशन किया जा सकता है.
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