Navratri 2023 2nd Day: आज नवरात्रि के दूसरे दिन ऐसे करें मां ब्रह्मचारिणी की आराधना? जानिए पूजा विधि व मंत्र

Shubham Tiwari
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Sub Editor The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Shardiya Navratri 2023 2nd Day Maa Brahamcharini Puja Vidhi: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो गई है. आज नवरात्रि का दूसरा दिन है. आज का दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है. आज मां भगवती के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है. नवरात्रि के दूसरे दिन कैसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा और क्या है पूजा की विधि, मंत्र, कथा और धार्मिक महत्व? आइए जानते हैं विस्तार…

मां ब्रहृमचारिणी का स्वरूप
‘ब्रह्म’ शब्द का अर्थ तपस्या से है और ‘ब्रह्मचारिणी’ चारिणी का अर्थ है- तप का आचरण करने वाली. माता के इस स्‍वरूप की पूजा करने से आत्‍मबल में वृद्धि होती है. मां ब्रह्मचारिणी की भक्ति से व्यक्ति में तप की शक्ति, सदाचार, त्याग, संयम और वैराग्य जैसे गुणों में बढ़ोत्तरी होती है. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने वाला व्यक्ति व्‍यक्ति मुश्किल समय में भी मार्ग से नहीं भटकता. मां ब्रह्मचारिणी एक हाथ में जप की माला और दूसरे में कमण्डल सुशोभित है. मां ब्रह्मचारिणी पवित्रता और शांति का प्रतीक मानी जाती हैं.

मां ब्रहृमचारिणी पूजा विधि

  • नवरात्रि के दूसरे दिन स्नान के पश्चात सफेद वस्त्र धारण करें.
  • घर में मौजूद मां की प्रतिमा में मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप स्मरण करें.
  • मां ब्रह्मचारिणी को पंचामृत से स्नान कराएं.
  • मां ब्रह्मचारिणी को सफेद या पीले वस्त्र अर्पित करें.
  • मां ब्रह्मचारिणी को रोली, अक्षत, चंदन अर्पित करें.
  • मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में गुड़हल या लाल रंग के फूल का ही प्रयोग करें.
  • मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान करें और उनके मंत्रों का जाप करें.
  • मां ब्रह्मचारिणी की आरती उतारें और भोग लगाएं.

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
ॐ दधाना कपाभ्यामक्षमालाकमण्डलू,देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा
ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:’ का जाप करें. इसे करने से भक्ती की समस्त मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी होती है.

मां ब्रह्मचारिणी भोग
मां ब्रह्मचारिणी को दूध और दूध से बने भोजन अति प्रिय होते हैं. इन्हें शक्कर, मिश्री, दूध, खीर, खोए की बर्फी आदि का भोग लगाएं.

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मां ब्रह्मचारिणी की कथा
भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने हजारों साल तक कठोर तपस्या की. इस दौरान वह ठंड,गर्मी, बरसात हर ऋतु को सहन किया, लेकिन किसी भी हाल में अपने तप को भंग नहीं किया. मां पार्वती शिव को पति रूप में पाने के लिए हजारों वर्ष तक निर्जल और निराहार तप किया. इनकी कठोर तपस्या से भगवान शिव आखिरकर प्रसन्न हुए और माता पार्वती को पत्‍नी के रूप में स्‍वीकार किया.

माता पार्वती के हजारों साल कठोर तप करने के बाद उनके तपेश्‍वरी स्‍वरूप को ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना गया. माता ब्रम्हचारिणी का यह स्वरूप इंसान को यह सीख देता है कि अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए इंसान को अडिग रहना चाहिए और कठिन समय में भी मार्ग से ना भटकें. तभी जाकर सफलता मिलेगी.

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(Disclaimer: इस लेख में दी गई सामान्य मान्यताओं और पौराणिक कथाओं पर आधारित है. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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