Harsiddhi Mata Mandir Ujjain: देशभर में शारदीय नवरात्रि की धूम हैं. नौ दिन तक चलने वाले इस त्योहार की आज षष्ठी तिथि है. वहीं अष्टमी-नवमी तिथि की तैयारियां जोरों पर हैं. नवरात्रि के पहले दिन से ही मां के दर्शन के लिए देशभर के देवी स्थानों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. उन्हीं देवी मंदिरों में से एक है हरसिद्धि माता मंदिर, जो बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में स्थित है. महाकाल मंदिर के पीछे ही माता हरसिद्धि विराजमान है, जो देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, माता सती की यहां दाएं हाथ की कोहनी गिरी थी. मान्यता है कि माता हरसिद्धि के दर्शन मात्र से हर मनोकामना पूर्ण होती है.
2000 साल पुराने हैं दीप मालाएं
हरसिद्धि माता मंदिर के पास ही उज्जैन के राजा विक्रमादित्य का भी स्थान है. देवी हरसिद्धि सम्राट विक्रमादित्य की आराध्य देवी थीं. यहां हरसिद्धि माता मंदिर के बाहर दो दीप स्तंभों पर 1011 दीपक हैं जो 51 फीट ऊंचे हैं. इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां की दीप मालाएं 2 हजार साल पुरानी है. दीप मालाओं को लेकर कहा जाता है कि जब राजा विक्रमादित्य माता के मंदिर में दीप राग गाते थे, तो दीप मालाएं खुद प्रज्वलित हो जाती थीं. मान्यता है कि हरसिद्धि मंदिर में भक्तों की मुराद जरूर पूरी होती है. मुराद पूरी होने के बाद श्रद्धालु ये दीप प्रज्वलित कराते हैं.
15 हजार रुपए का आता है खर्च
मंदिर में इन दीपों को प्रज्वलित कराने के लिए भक्तों की लंबी वेटिंग रहती है. कई महीने पहले से ही श्रद्धालु दीपमाला प्रज्वलित कराने के लिए बुकिंग करवाने लगते है. बात करें खर्च कि तो इन दीपमाला को जलाने के लिए 1 दिन का करीब 15000 रुपए तक का खर्च आ सकता है. इन दीप मालाओं को प्रज्वलित करने के लिए 4 किलो रुई और 60 लीटर तेल की आवश्यकता होती है. दीपमालाओं की ऊचांई ज्यादा होने के कारण इसे जलाना भी कठिन है. इसके बावजूद भी 6 लोग मिलकर 5 मिनट में 1011 दीप प्रज्जवलित कर देते हैं.