Halal-Certified Products: यूपी की योगी सरकार ने हाल ही में हलाल सर्टिफिकेशन वाले खाद्य पदार्थों को बनाने, बेचने और भंडारण पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया. अब इन उत्पादों पर हलाल प्रमाणन कराने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी. यूपी सरकार ने कहा कि तेल, साबुन, टूथपेस्ट और शहद आदि जैसे शाकाहारी प्रोडक्ट्स के लिए हलाल प्रमाणपत्र आवश्यक नहीं है.
सरकार ने ऐसा दावा किया है कि यह प्रतिबंध सार्वजनिक स्वास्थ्य के हित में और भ्रम को रोकने के लिए लगाया गया है. सरकार के आदेश में कहा गया कि “खाद्य उत्पादों का हलाल प्रमाणीकरण से खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता के बारे में भ्रम पैदा होता हैं और यह पूर्ण रूप से कानून मूल इरादे के खिलाफ है.”
क्या होता है Halal-Certified Products?
बता दें कि ‘हलाल’ एक अरबी शब्द है. इसका अर्थ होता है अनुमति. वो चीज जो इस्लाम में वर्जित है. यानी वह प्रोडक्ट जो इस्लामी कानून की आवश्यकता को पूरा करते हैं और मुसलमानों के इस्तेमाल करने के लिए उपयुक्त हैं. उन्हें हलाल-सर्टिफाइड प्रोडक्ट कहा जाता है.
दरअसल, पहली बार 1974 में हलाल सर्टिफिकेशन वध किए गए मांस के लिए शुरू किया गया था. लेकिन इससे पहले हलाल सार्टिफिकेशन का कोई रिकॉर्ड नहीं मिलता है. हलाल मांस का मतलब उस मांस है, जिसे इस्लामी प्रक्रिया की मदद से हासिल किया जाता है. इसके अनुसार जानवर को गले की नसें काट कर मारा जाता है. हालांकि, ये केवल मांस तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसे अन्य उत्पादों पर लागू किया गया.
कौन देता है हलाल सर्टिफिकेशन?
भारत में किसी मान्यता प्राप्त निजी संगठन से प्रोडक्टों को आयात करने वाले देशों को हलाल प्रमाणपत्र लेना होता है, क्योंकि इस क्षेत्र में कोई सरकारी विनियमन नहीं है. बता दें कि वाणिज्य मंत्रालय ने इस साल की शुरुआत में हलाल प्रमाणीकरण पर एक मसौदा दिशानिर्देश जारी किया था, जिसमें कहा गया कि कृषि और प्रोसेस फूड प्रोडक्ट्स को इसकी निगरानी नामित किया जाएगा.
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