Uttarkashi Tunnel Collapse:: उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में कैद रहीं 41 जिंदगियां 17वें दिन आजाद हुई. दिन रात की कड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार सभी लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. सुरंग में फंसे मजदूरों के बाहर आने के बाद देशभर में खुशी की लहर है. जब सुरंग में फंसा पहला मजदूर बाहर आया तो सीएम धामी ने उसे गले से लगा लिया.
फिलहाल, चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सभी श्रमिकों की जांच के बाद ऋषिकेश AIIMS में भेजा जा रहा है. हालांकि इस घटना के बाद से ही लोगों के बीच एक सवाल बना हुआ है कि आखिर यह हादसा कैसे हुआ. अभी तक इसके पीछे की असली वजह सामने नहीं आई है. इसी बीच आईआईटी कानपुर की एक स्टडी सामने आई है, जिसमें सिलक्यारा टनल हादसे (Uttarkashi Tunnel Collapse) को लेकर एक प्रोफेसर ने बड़ा खुलासा किया है.
फॉल्ट लाइंस के चलते हादसा
आईआईटी कानपुर की स्टडी में दावा किया गया है कि उत्तरकाशी में जहां टनल हादसा हुआ, वहां नीचे फॉल्ट लाइंस मौजूद हैं. IIT कानपुर के अर्थ एंड साइंस डिपार्टमेंट के प्रोफेसर जावेद मलिक के मुताबिक, फॉल्ट लाइंस के ऊपर कंस्ट्रक्शन हादसे का की वजह थी. फॉल्ट लाइंस पर किसी भी तरीके का निर्माण हो, चाहे वह टनल हो या रोड, वह टूटेगा ही. हिमालय के इस क्षेत्र में गहनता से अध्ययन की जानी चाहिए.
दिवाली के दिन हुआ था हादसा (Uttarkashi Tunnel Collapse)
मालूम हो कि यह हादसा 12 नवंबर दीपावली के दिन सुबह में हुआ था. दीपावली के कारण टनल का काम सुबह 8 बजे बंद होने वाला था. श्रमिक त्योहार मनाने के लिए बाहर निकलने वाले थे, तभी सुबह करीब 4 बजे निर्माणाधीन सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था. मलबा गिरने से 41 मजदूर सुरंग के अंदर ही फंस गए. भारतीय सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ जैसी कई एजेंसियों ने मिलकर संयुक्त बचाव अभियान चलाया. अमेरिका से ऑगर मशीन मंगाई गई लेकिन ये मशीन भी फेल हो गई, इसके बाद हाथ से खोदाई करने वाली रैट माइनर्स की टीम रेस्क्यू ऑपरेशन में सफलता पाई. जिसके बाद 28 नवंबर को सभी मजदूर पहाड़ का सीना ‘चीरकर’ सुरंग से बाहर आए.
ये भी पढ़ें :- कौन हैं बाबा बौख नाग, सिलक्यारा सुरंग हादसे से क्या हैं कनेक्शन?