इंडस्ट्री का वो खलनायक जिसने दी हीरो तक को मात, जानिए
बॉलीवुड के दिग्गज कलाकार और राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनीतिज्ञ शत्रुघ्न सिन्हा आज अपना 78वां जन्मदिन मना रहे हैं.
'शॉटगन' के नाम से मशहूर शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी दमदार अदाकारी से कई सितारों को खामोश कर दिया.
साल 1969 में फिल्म साजन से उन्होंने अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत की थी.
सिनेप्रियों की जुबान पर आज भी शत्रुघ्न सिन्हा के चर्चित डायलॉग्स सुनने को मिलते हैं.
शत्रुघ्न सिन्हा के जन्मदिन के खास मौके पर आइए जानते हैं उनके शानदार डायलॉग्स के बारे में.
साल 1984 में आई फिल्म 'जीने नहीं दूंगा' का डायलॉग- "मैं तेरी इतनी बोटियां करूंगा कि आज गांव का कोई भी कुत्ता भूखा नहीं सोएगा" बहुत ही फेमस है.
1986 में आई फिल्म 'असली-नकली' का डायलॉग है- "आज कल जो जितना ज्यादा नमक खाता है, उतनी ही ज्यादा नमक हरामी करता है."
'असली-नकली' का एक और डायलॉग है- "पहली गलती माफ कर देता हूं... दूसरी बर्दाश्त नहीं करता."
हिंदी फिल्मों में शत्रुघ्न सिन्हा का सबसे सामन्य डायलॉग अबे "खामोश" हर किसी की जुबान पर आज भी छाया हुआ है.
1994 में आई फिल्म 'बेताज बादशाह' का डायलॉग- "जब दो शेर आमने-सामने खड़े हों, तो भेड़िये उनके आस-पास नहीं रहते" काफी चर्चा में रहा है.
1978 में आई फिल्म 'विश्वनाथ' के डायलॉग- "जली को आग कहते हैं, बुझी को राख कहते हैं, जिस राख से बारूद बने, उसे विश्वनाथ करते हैं" ने तहलका मचा दिया था.
1976 में आई फिल्म 'कालीचरण' का डायलॉग- "आज के जमाने में तो बेईमानी ही एक ऐसा धंधा रह गया है, जो पूरी ईमानदारी के साथ किया जाता है" भी फेमस है.