कैसे पड़ा अंग्रेजी महीने का नाम जनवरी, फरवरी... जानिए रहस्य
हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में कैलेंडर का बहुत महत्व है. इसके बिना न दिन की जानकारी होती न महीनों की.
महीने और साल की प्लानिंग करने में कैलेंडर की जरूरत पड़ती है.
कभी आपने सोचा है कि महीनों के नाम कैसे पड़ा? आइए आपको बताते हैं कैलेंडर से जुड़े रहस्य.
मौजूदा समय में हमारे घर या ऑफिस में जो कैलेंडर टंगा हुआ है, उसका नाम ग्रेगोरियन कैलेंडर है. इसकी शुरुआत सन 1582 में हुई थी.
साल के पहले महीने का नामकरण रोम के देवता जेनस के नाम पर हुआ. जेनस को लैटिन भाषा में जेनेरिस कहा जाता है.
पहले सर्दी के महीने को जेनस कहा जाता था. बाद में जेनस को जनुअरी और हिंदी भाषा में जनवरी कहा जाने लगा.
साल के दूसरे महीने फरवरी को लैटिन भाषा में 'फैबरा' कहा जाता है. इसे 'शुद्धि के देवता' के नाम पर रखा गया है. वहीं, कुछ लोग मानते हैं कि रोम की देवी 'फेब्रुएरिया' के नाम पर इस महीने का नाम रखा गया था.
तीसरे महीने मार्च का नाम रोमन देवता 'मार्स' के नाम पर रखा गया. इस महीने से रोमन न्यू ईयर की शुरुआत होती है.
अप्रैल महीने का नाम लैटिन शब्द 'ऐपेरायर' से बना है. इसका अर्थ 'कलियों का खिलना' होता है. इस महीने में रोम में बसंत मौसम की शुरुआत भी होती है.
मई के नाम को लेकर कहा जाता है कि रोमन देवता 'मरकरी' की माता 'माइया' के नाम पर इस महीने का नाम पड़ा.
जून महीने का नाम रोम के सबसे बड़े देवता 'ज्यूस' की पत्नी 'जूनो' के नाम पर पड़ा.
जुलाई महीने का नाम रोमन साम्राज्य के शासक 'जूलियस सीजर' के नाम पर रखा गया था. बताया जाता है कि इसी महीने में जूलियस का जन्म और मृत्यु हुई थी.
अगस्त महीने का नाम 'सैंट ऑगस्ट सीजर' के नाम पर रखा गया था.
सितंबर का नाम लैटिन शब्द 'सेप्टेम' से बना है. बता दें कि रोम में सितंबर को सप्टेम्बर कहा जाता है.
अक्टूबर का नाम लैटिन के 'आक्टो' शब्द पर रखा गया है.
नवंबर का नाम लैटिन के 'नवम' शब्द से लिया गया है.
साल के आखिरी महीने दिसंबर का नाम लैटिन के 'डेसम' शब्द पर रखा गया था.