New Year Upay 2024: सनातन धर्म में प्रत्येषक शुक्रवार को धन की देवी माता लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर देव की पूजा पूरे विधि विधान से की जाती है. शास्त्रों में निहित है कि धन की देवी माता लक्ष्मी काफी चंचल हैं. ज्याीदा देर तक एक स्थान पर नहीं ठहरती हैं. इसके लिए साधक धन की देवी माता लक्ष्मी की प्रतिदिन उपासना करते हैं. मान्य ता है कि माता लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में व्याप्त धन संबंधी परेशानियां दूर हो जाती है. साथ ही घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है. आप भी अगर जीवन में व्याप्त आर्थिक संकटों को दूर करना चाहते हैं, तो नए साल के पहले दिन पूजा करते समय इन मंत्रों का जाप करें.
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धन प्राप्ति हेतु मंत्र
1. ऊँ क्लीं ह्रीं ऐं ओं श्रीं महा यक्षिण्ये सर्वैश्वर्यप्रदात्र्यै नमः।
इमिमन्त्रस्य च जप सहस्त्रस्य च सम्मितम्।
कुर्यात् बिल्वसमारुढो मासमात्रमतन्द्रितः।।
2. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥
3. ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
4. ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवाणाय, धन धन्याधिपतये
धन धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।
5. ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।
6. ॐ ऐं श्रीं महालक्ष्म्यै कमल धारिण्यै गरूड़ वाहिन्यै श्रीं ऐं नमः
7. ऊँ तां मSआ वह जातवेदों लक्ष्मीमनगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामवश्वं पुरुषानहम् ।।
अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनाद प्रमोदिनीम् ।
श्रियं देवीमुप ह्रये श्रीर्मा देवी जुषताम् ।।
ऊँ उपैतु मां देवसख: कीर्तिश्च मणिना सह ।
प्रादुर्भूतोSस्मिराष्ट्रेस्मिन् कीर्त्तिमृद्धिं ददातु मे ।।
ऊँ क्षुत्पिपासमलां ज्येष्ठामलक्ष्मी नाशयाम्यहम् !
अभूतिम समृद्धिं च सर्वां निणुर्द में गृहात् ।।
ऊँ मनस: काममाकूतिं वाच: सत्यमशीमहि ।
पशूनां रूपमन्नस्य मयि: श्री: श्रयतां दश: ।।
ऊँ आप: सृजंतु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे ।
निच देवीं मातरं श्रियं वासय में कुले ।।
ऊँ आर्दा य: करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम् ।
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मी जातवेदो म आवह ।।
“ॐ अत्रेरात्मप्रदानेन यो मुक्तो भगवान्
ऋणात् दत्तात्रेयं तमीशानं नमामि ऋणमुक्तये।
8. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौं ऐं क्लीं ह्रीं श्री ॐ।
ॐ ह्री श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा ।
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