UP News: काशी में जल, थल और नभ की सुगम यात्रा के साथ बुनियादी सुविधाओं का हुआ विस्तार

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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UP News: बदलता बनारस विश्व के लिए विकास का नया पैमाना बन रहा है। 2014 से शुरू हुई काशी की विकास यात्रा 2017 से प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद और तेजी से परवान चढ़ने लगी। जल, थल और नभ की सुगम यात्रा के साथ बुनियादी सुविधाओं का विस्तार हुआ है। शिक्षा और चिकित्सा की रीढ़ मजबूत हुई है। श्री काशी विश्वनथ धाम के विस्तार के बाद सैलानियों की संख्या साल भर में दस करोड़ पार हो गई है। कीर्तिमान स्थापित करता पर्यटन उद्योग काशी में रोजगार के नए आयाम स्थापित कर रहा है। उद्योग धंधे स्थापित हो रहे हैं। काशी की ख़त्म हो रही परंपरागत हस्तकला ओडीओपी और जीआई टैग को नई व अंतरराष्ट्रीय पहचान दिला दी है।काशी के विस्तार की योजना चल रही है। रिंग रोड के किनारे नए टाउनशिप बसाने, नए उद्योग लगाने समेत भविष्य की कई योजनाओं पर काम चल रहा है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम की नींव भी पड़ चुकी है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए चलने वाला दुनिया का तीसरा रोपवे काशी में विकास की नई यात्रा करायेगा।
अपनी परंपराओं व संस्कृति की जड़ों को मजबूती से पकड़े हुए काशी बदलाव के बयार में विकास की ऊंची उड़ान भर रही है। करवट लेती हुई काशी जीवंतता और समृद्ध वैभव के दम पर स्मार्ट हो रही है। बनारस विश्व के आधुनिक शहरों को चुनौती देता दिख रहा है। गलियों का शहर कहे जाने वाले काशी के मोहल्ले अपनी विरासत के साथ विकसित और आधुनिक हो रहे हैं। अत्याधुनिक नमो घाट पर्यटकों का नया ठिकाना बन गया है। सड़क, पेयजल, पार्क, कुंड तालाब, मंदिर, हैरिटेज एवं ऐतिहासिक स्थलों,  नए घाटों का निर्माण आदि के विकास का ख़ाका आने वाले कई दशकों को ध्यान में रखकर खींचा जा रहा है। स्मार्ट सिटी बन रही काशी एडवांस सर्विलांस सिस्टम से लैस है। चप्पे चप्पे पर तीसरे नेत्र की नजर है, जिससे काशी सेफ और सुरक्षित मानी जाने लगी है।
2014 में नरेंद्र मोदी के वाराणसी से सांसद और प्रधानमंत्री बनने के बाद लोगों को भरोसा ही नहीं था कि पौराणिक काशी विकास का मॉडल बन दुनिया को नई राह दिखाएगी। 2017 में योगी सरकार के बनने के बाद विकास की रफ्तार और तेज हो गई। शहर में सड़कों का चौड़ीकरण, सड़कों, फ्लाई ओवर और आरओबी का जाल, रिंग रोड, राष्ट्रीय राजमार्ग से कनेक्टिविटी अच्छी हुई है। वंदेभारत जैसी नई रेलगाड़ियों और रेल ट्रैक के विस्तार ने वाराणसी की अन्य शहरों से कनेक्टिविटी और रफ़्तार बढ़ाई है। काशी में जल परिवहन के लिए मल्टी मॉडल टर्मिनल से माल धुलाई की शुरुआत हुई तो जलमार्ग में सबसे लम्बी दूरी के क्रूज का भी वाराणसी से पीएम ने शुभारंभ किया। वाराणसी से हवाई सेवाओं का भी विस्तार हुआ है। हवाई जहाजों की संख्या बढ़ी है। अब इंटरनेशनल एयरपोर्ट का भी विस्तार हो रहा है। भविष्य में यहाँ बड़े बोइंग विमान उतारे जाएंगे। सी प्लान की योजना के साथ ही हेली टूरिज्म की सेवा भी जल्द शुरू होगी। वाराणसी दुनिया का तीसरा और देश का पहला शहर होगा, जहाँ पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए रोपवे संचालित होगा। गंगा में प्रदूषण रहित सीएनजी बोट, फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन और ई-बसें प्रदूषण से मुक्ति दिला रही है।
काशी ने चिकित्सा व्यवस्था की रीढ़ को भी मजबूत किया गया। दो कैंसर इंस्टीटयूट, बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में सुपरस्पेशिलिटी सुविधा, बीएचयू आईएमएस को एम्स का दर्जा, ट्रामा सेंटर, बीएचयू के शैक्षणिक पाठ्यक्रमों को रोजगारपरक बनाया गया। अंग्रेजों के समय के ज़र्जर विद्यालयों का कायाकल्प करके आधुनिक रूप दिया गया। प्राथमिक और कंपोजिट स्कूल के नए भवन अत्याधुनिक सुविधा से युक्त हैं, यह महंगे कॉन्वेंट स्कूलों को टक्कर भी दे रहे हैं। डबल इंजन की सरकार रोजगार एवं स्वरोजगार के अवसर भी उपलब्ध करा रही है। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के जरिये धरातल पर उतरने वाले उद्योग पूर्वांचल में रोजगार लाएंगे तो वहीं बनास डेयरी जल्द ही रोजगार से जोड़ेगी। अन्नदाता लाभान्वित हों, इस तरफ भी महत्वपूर्ण पहल हुई। किसान उद्यमी निर्यातक बन रहे हैं। खाड़ी व यूरोपीय देशों में पूर्वांचल की सब्जियों एवं आम निर्यात हो रहे हैं। पैक हाउस अंतरराष्ट्रीय स्तर के उत्पाद तैयार करने में मदद कर रही है।
काशी का विस्तार नई काशी के रूप में हो रहा है। रिंग रोड के किनारे कई आधुनिक टाउनशिप की योजना शुरू हो रही है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम की नींव पड़ चुकी है। शहर के मध्य में सिगरा स्टेडियम का पुनरुद्धार कर अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्टेडियम निर्माण अंतिम चरण में है। मोक्ष की नगरी काशी में मुक्ति के द्वार अंतिम संस्कार के लिए महाश्मशान मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट को अत्याधुनिक और सुविधा युक्त बनाया जाएगा। कमिश्नरी कंपाउंड में 10-10 मंजिल का एकीकृत मंडलीय कार्यालय का निर्माण होना है, जिसमें मंडल स्तर के सभी कार्यालय होंगे।
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