मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के चरित्र से सीखे ये बातें, जानिए 

रामायण के अनुसार भगवान राम अयोध्या के राजा दशरथ के 4 पुत्रों में से सबसे बड़े पुत्र थे. श्रीराम को एक आदर्श पुरुष के तौर पर बताया जाता है.

आज हम आपको श्रीराम के चरित्र की कुछ ऐसी विशेषताओं के बारे में बताएंगे जिन्हें अपनाकर हर व्यक्ति अपने जीवन में सफल हो सकता है.

माता-पिता की आज्ञा का करें पालन

भगवन राम को अयोध्या की राजगद्दी मिलनी थी, लेकिन उन्होंने मां कैकयी के आदेश का पालन किया और राजपाट छोड़कर 14 वर्ष के वनवास चले गए.

इससे मानव जाति को ये शिक्षा लेनी चाहिए कि हर संतान का पहला धर्म अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करना है.

धैर्यशीलता का पढ़ाया पाठ

भगवान राम धैर्य का एक बेहतरीन उदाहरण देते हैं. जब मां कैकयी ने उन्हें वनवास जाने का आदेश दिया था तब वो इस आदेश को धैर्य के साथ स्वीकार किए.

आदर्श भाई बनें

श्रीराम ने आदर्श भाई होने का भी बेहतरीन उदाहरण दिया है. वनवास के दौरान जब भरत उन्हें वापस अयोध्या लेने आए.

 तब उन्होंने अपने माता-पिता की आज्ञा को ऊपर रखा और पूरा राजपाट भाई भरत को सौंप दिया.

अच्छा मित्र बनें

श्री राम मित्रता का भी अच्छा उदाहरण देते हैं. रामायण में वर्णित है कि केवट, सुग्रीव और विभीषण श्रीराम के सच्चे मित्र रहे हैं.

भगवान राम ने सभी के साथ बिना किसी भेदभाव के दोस्ती निभाई थी. 

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और ज्योतिष गणनाओं पर आधारित है. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)