Foreign Minister S Jaishankar On Pakistan: पड़ोसी देश पाकिस्तान को लेकर भारत सरकार का रूख बिल्कुल साफ है. पाकिस्तान आतंकियों को पनाह देता है, इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता है. जब तक आतंकवाद का इस्तेमाल पड़ोसी मुल्क करता रहेगा, तब तक दोनों देशों के राजनयिक संबंध बेहतर नहीं बन सकते. साथ ही भारत का रूख साफ है कि पाकिस्तान के साथ मोदी सरकार आतंकवाद को लेकर पड़ोसी देश से बात नहीं कर सकती.
आतंकवाद बर्दाश्त नहीं
भारत पाकिस्तान के रिश्तों को लेकर समाचार एजेंसी से बात करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत सीमा पार आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करने वाला है. वहीं, हमने पाकिस्तान के आतंकवादी की नीति को अप्रासंगिक कर दिया. पाकिस्तान दशकों से यह कोशिश कर रहा है कि आतंकवाद के मुद्दे पर वो भारत के साथ बातचीत करे. उन्होंने आगे कहा कि आखिरकार एक पड़ोसी एक पड़ोसी ही होता है, लेकिन हम उनके शर्तों पर काम नहीं कर सकते हैं.
उन्होंने कहा पिछले साल पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत के साथ रिश्ते बेहतर बनाने की इच्छा जाहिर की थी. वहीं, कुछ दिनों पहले पीएमएल-एन के अध्यक्ष नवाज शरीफ ने आगामी आम चुनाव से पहले कहा कि वो भारत के साथ रिश्ते बेहतर बनाना चाहते हैं.
#WATCH | On being asked if India always lost to China at the mind games, EAM Dr S Jaishankar says, "I don't think we always lost out, but at various points of time, when we talk about the parts of the past today would be very difficult to understand, Panchsheel agreement is… pic.twitter.com/eEzjwLKidK
— ANI (@ANI) January 2, 2024
पाक की आर्थिक स्थिति पर क्या बोले विदेश मंत्री
पाकिस्तान की आर्थिक स्थित को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि कोई भी अचानक और बिना कारण किसी कठिन स्थिति में नहीं पहुंचता है. इससे बाहर निकलने का रास्ता ढूंढना उनका काम है. जब श्रीलंका आर्थिक संकट से जूझ रहा था तो भारत ने उसकी मदद की थी. इस मामले पर विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देशों के रिश्ते काफी अलग हैं.
व्हाई भारत मैटर्स पर क्या बोले एस जयशंकर
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ‘व्हाई भारत मैटर्स’ पुस्तक पर भी बात की. उन्होंने बताया कि मेरे अंदर के राजनयिक के पास अपने क्षेत्र का ज्ञान और अनुभव है. मेरे अंदर का राजनेता लोगों से इसपर बात करने की आवश्यकता महसूस करता है. दो गाथाएं या कहानियां जिनके साथ हम सभी बड़े हुए हैं, वे रामायण और महाभारत हैं. हम अक्सर रूपकों, स्थितियों और तुलनाओं का बहुत उपयोग करते हैं. हमारे सामान्य जीवन के बारे में अगर मैं बात करूं, तो मैं वहां से कुछ संदर्भ ला सकता हूं. जब हम दुनिया पर चर्चा करते हैं, तो क्या हम ऐसा करने के बारे में सोच सकते हैं?
उन्होंने आगे कहा कि एक थीम लेकर उसे रामायण की प्रासंगिकता देने का प्रयास किया जाए. उदाहरण के लिए मैंने गठबंधन का उपयोग किया है. भगवान राम कितनी सावधानी से गठबंधन बनाते हैं और गठबंधन बनाने के लिए क्या करना पड़ता है? यह अपने आप नहीं बनता. कूटनीति में आपने मुझे पहले भी यह कहते सुना है कि राजनयिकों के दो प्रमुख उदाहरण हनुमान और श्रीकृष्ण हैं. अंगद या उसकी माँ तारा भी ऐसे ही उदाहरण हैं. ये वे लोग हैं जिन्होंने बहुत कठिन परिस्थितियों में भी अपने कूटनीतिक कौशल का इस्तेमाल किया.
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