Bilkish Bano Case: बिलकिस बानो मामले में दोषियों को दोबारा जाना होगा जेल! SC ने पलटा फैसला 

बिलकिस बानो सामूहिक दुष्कर्म मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला 

2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस के सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या के 11 दोषियों की सजा में छूट को चुनौती देने की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है. 

न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला 

बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि राज्य, जहां किसी अपराधी पर मुकदमा चलाया जाता है और सजा सुनाई जाती है. वह दोषियों की माफी याचिका पर निर्णय लेने में सक्षम है.

बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि राज्य, जहां किसी अपराधी पर मुकदमा चलाया जाता है और सजा सुनाई जाती है, वह दोषियों की माफी याचिका पर निर्णय लेने में सक्षम है.

सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि दोषियों की सजा माफी का आदेश पारित करने के लिए गुजरात राज्य सक्षम नहीं है, बल्कि महाराष्ट्र सरकार सक्षम है.

सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि दोषियों की सजा माफी का आदेश पारित करने के लिए गुजरात राज्य सक्षम नहीं है,…

बिलकिस बानो केस में सु्प्रीम कोर्ट ने माना कि गुजरात राज्य सरकार दोषियों की सजा में छूट आदेश पारित करने में सक्षम नहीं थी.

जस्टिस नागरत्ना ने कहा, केवल इस आधार पर रिट याचिकाओं को अनुमति दी जानी चाहिए और आदेशों को खारिज जाना चाहिए.

अदालत ने पिछले साल सितंबर में मामले की सुनवाई करते हुए गुजरात सरकार से पूछा था कि क्या दोषियों को माफी मांगने का मौलिक अधिकार है.

शीर्ष अदालत ने पहले की सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार से कहा था कि राज्य सरकारों को दोषियों को सजा में छूट देने में "चयनात्मक रवैया" नहीं अपनाना चाहिए. प्रत्येक कैदी को सुधार तथा समाज से फिर जुड़ने का अवसर दिया जाना चाहिए.

दरअसल, इस मामले में बिलकिस के साथ ही माकपा नेता सुभाषिनी अली, स्वतंत्र पत्रकार रेवती लाल और लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व VC रूपरेखा वर्मा समेत अन्य ने जनहित याचिकाएं दायर की थी. उन्होंने सजा में छूट को चुनौती दी थी.

आपको बता दें कि तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा ने दोषियों की सजा में छूट और समय से पहले रिहाई के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी.