Anandeshwar Mandir Srinagar: आतंकवादी घटनाओं के समय जो मंदिर बंद किए गए थें, अब उनके ताले एक के बाद एक खुलते जा रहे हैं. इसी क्रम में शनिवार को 32 सालों से बंद एक मंदिर में हवन पूजन किया गया. श्रीनगर का दिल कहे जाने वाले लाल चौक घंटा घर से कुछ दूरी पर स्थित साढ़े तीन सौ साल पुराने आनंदेश्वर भैरवनाथ मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए. मंदिर खुलने के बाद यहां विशेष पूजा अर्चना की गई.
लाल चौक घंटा घर के पास है मंदिर
यह मंदिर श्रीनगर के लालचौक से सटे माईसुमा इलाके में स्थित है. स्थानीय लोगों ने बताया कि, जब से आतंकवाद का दौर शुरू हुआ था, तभी से यह मंदिर बंद पड़ा था. इन मंदिरों को आतंकवादी घटनाएं बढ़ने के बाद बंद कर दिया गया था. अब 32 साल बाद आनंदेश्वर भैरवनाथ मंदिर एक बार फिर से श्रद्धालुओं के लिए खोला गया है. मंदिर खुलने के बाद यहां विशेष पूजा-अर्चना की गई. इस अवसर पर स्थानीय निवासियों, श्रद्धालुओं के अलावा घाटी में घूमने के लिए आए पर्यटक भी मौजूद रहे. सबने बाबा भैरवनाथ के दर्शन करके आशीर्वाद लिया. इसके साथ ही सभी ने जम्मू-कश्मीर की शांति और उन्नति के लिए भगवान से प्रार्थना भी की.
VIDEO | Kashmiri Pandits express their happiness as they perform 'hawan' at Mausima Temple in #Srinagar, Jammu and Kashmir, after over 35 years.
(Full video available on PTI Videos – https://t.co/n147TvqRQz) pic.twitter.com/B6zw3T2Iat
— Press Trust of India (@PTI_News) January 6, 2024
1990 से था बंद
साल 1990 में घाटी में आतंकवाद चरम पर था. उस समय कई मंदिरों को बंद किया गया. उन मंदिरों में आनंदेश्वर भैरवनाथ मंदिर भी शामिल था. शहर के बीचोबीच स्थित होने के कारण 1990 से पहले इस मंदिर में खासी चहलपहल देखने को मिलती थी. माईसुमा के अलावा बसंतबाग, गंपतयार, हब्बाकदल और जेनदार मोहल्ला आदि के लोग इस मंदिर में पूजापाठ के लिए आते थे. लेकिन पिछले 3 दशकों से भी अधिक समय से इस मंदिर में सन्नाटा पसरा हुआ था.
370 हटने के बाद खोले गए 50 मंदिर
अनुच्छेद 370 हटने के बाद से अब तक 50 मंदिर फिर से खोले जा चुके है. इसी कड़ी में आनंदेश्वर मंदिर को भी श्रद्धालुओं के लिए खोला गया है. आनंदेश्वर भैरवनाथ ट्रस्ट के एक अधिकारी हीरालाल कौल ने बताया कि शनिवार को आनंदेश्वर मंदिर का स्थापना दिवस था. इसी शुभ दिन पर मंदिर के कपाट फिर से खोल दिए गए है, इसलिए बहुत खुशी हो रही है. यह मंदिर श्रद्धालुओं से फिर से आबाद हो गया.
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