Grahan 2024: भारत में इस साल नहीं दिखेगा एक भी ग्रहण, जानिए क्या सूतक काल होगा मान्य

Raginee Rai
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Grahan 2024: ग्रहण खगोलीय घटना होती हैं, लेकिन सनातन धर्म में इनका विशेष महत्‍व होता है. मान्‍यता है कि इन घटनाओं का लोगों की जिंदगी पर गहरा असर पड़ता है. इस बार साल का पहला सूर्यग्रहण 8 अप्रैल यानी चैत मास के अमावस्‍या के दिन लग रहा है. अमावस्‍या पर लगने वाला ग्रहण बहुत खास होगा. लेकिन यह भारत में दिखाई नहीं देगा. ज्‍योतिष के मुताबिक, इस वर्ष भारत में एक भी ग्रहण दिखाई नहीं देगा. 72 साल बाद योग बन रहा है. इस साल दो चंद्र गहण और दो सूर्य ग्रहण लग रहे हैं, लेकिन यह भारत में दिखाई नहीं देंगे. सूतक का प्रभाव नहीं पड़ने से मंदिर के पट भी बंद नहीं रहेंगे. यह भारत के लिए बेहद सुखद है.

भारत में नहीं दिखेगा ग्रहण

माना जाता है कि ग्रहण जिस भी देश में दिखाई देता है, वहां प्राकृतिक और विषम प्रभाव पड़ते हैं. ज्योतिषविद विमल जैन, दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री व अमित मिश्र के मुताबिक, भौगोलिक गणना के अनुसार इस साल हमारे देश में कोई भी ग्रहण दृश्यमान नहीं है. इसलिए इसका धार्मिक महत्व नहीं होगा. साथ ही भारत में सूतक काल भी मान्य नहीं होगा. सन 1952 के बाद यह पहली बार है. उन्होंने बताया कि इस साल लगने वाले ग्रहण का असर उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका, दक्षिण चिली, अर्जेंटीना, मध्य एशियाई देशों, हिंद महासागर, अर्कटिक और अटलांटिक महासागर पर पड़ेगा. ये ग्रहण मार्च, अप्रैल और अक्‍टूबर में लगेंगे.

कब-कब लगेगा ग्रहण

इस साल का पहला सूर्यग्रहण 8 अप्रैल को लगेगा, जो रात 9:12 बजे से रात 1:25 बजे तक रहेगा. इसकी अवधि 4:25 घंटे रहेगी. दूसरा सूर्य ग्रहण दो अक्‍टूबर को लगेगा, जो रात 9:13 बजे से रात 3:17 बजे तक रहेगा. इसकी अवधि 6:04 घंटे रहेगी. वहीं, पहला चंद्रग्रहण 25 मार्च को लगेगा, जो सुबह 10:23 बजे से दोपहर 3:02 बजे तक रहेगा. इसकी अवधि 4:36 घंटे की होगी. वहीं 18 सितंबर को दूसरा चंद्र ग्रहण लगेगा,जो सुबह 6:12 बजे से 10:17 बजे तक रहेगा. इसकी अवधि 4:04 घंटे की होगी.

 प्रशांत महासागर में सूर्यग्रहण ज्यादा दृश्यमान

ज्योतिषविद विमल जैन के अनुसार, सूर्य ग्रहण एक वलयाकार ग्रहण होगा. सूर्यग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा हो, लेकिन दूरी धरती से ज्‍यादा होती है. धरती से दूर होने के कारण चंद्रमा छोटा दिखाई पड़ता है. सूर्यग्रहण ज्यादा दृश्यमान प्रशांत महासागर में होगा. वहीं, चंद्र ग्रहण में चंद्रमा केवल पृथ्वी की छाया के बाहरी किनारों से होकर गुजरता है. इसलिए ग्रहण काफी कमजोर होगा. चंद्रमा गहरी छाया में प्रवेश नहीं करेगा. इसलिए यूरोप, उत्तर-पूर्व एशिया समेत कुछ महासागरों में दिखेगा.

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