खूबसूरती की मिसाल हैं भारत की ये 3 रेलवे लाइन्स, UNESCO World Heritage Sites की लिस्ट में हैं शामिल

Raginee Rai
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Indian Railway Lines: भारत में घुमने के लिए इतना कुछ है कि आप जितना भी घूम लें, फिर भी बहुत कुछ छूट ही जाएगा. कई ऐसे टूरिस्‍ट स्‍पॉट हैं जहां पूरे वर्ष देश-विदेश के पर्यटकों का तांता लगा रहता है. यहां की कुछ जगहों के बारे में जितना बखान की जाए वो कम ही है. आज की खबर में हम सफर की बात करेंगे, वो भी ट्रेन सफर की. जी हां, अपने यहां कुछ इतने खूबसूरत रेलवे लाइन्‍स हैं जो यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची (UNESCO World Heritage Sites) में शामिल है. ये रेलवे लाइन्‍स सुंदर पहाड़ियों के बीच से गुजरती हैं, जिनका नजारा आप कभी भूल नहीं पाएंगे. तो चलिए जानते हैं कुछ सुंदर रेलवे लाइनों के बारे में, जिनसे गुजरना यादगार पल होगा.

कालका-शिमला टॉय ट्रेन

यह शिमला तक पहुंचने का एक लोकप्रिय तरीका है. कालका-शिमला रेलवे लाइन 1903 में पूर्ण रूप से बन कर तैयार हुई थी. यह भारत में खूबसूरत ट्रेन सफर में से एक है. यह लाइन्‍स 96 किमी की दूरी को तय करती है और 20 रेलवे स्टेशनों, 103 सुरंगों, 800 पुलों, और अद्भुत 900 कर्वों से होकर गुजर‍ती है. चंडीगढ़ के पास कालका से पूरे सफर का समय लगभग 5 घंटे है. इस सफर के दौरान आप कई सुंदर नजारों का लुत्‍फ ले सकते हैं.

नीलगिरि माउंटेन

यह भारत में सिंगल ट्रैक और एक मात्र मीटर गेज लाइन वाली रेलमार्ग है. नीलगिरि माउंटेन रेलवे   पर चलने वाली टॉय ट्रेन ऊटी के हिल स्टेशन की सफर का मुख्य आकर्षण है. इसे ब्रिटिश के शासन काल में अंग्रेजों ने चेन्नई जाने के लिए बनाया था. यह रेलवे लाइन चट्टानी इलाके और घने जंगली पहाड़ियों के बीच बनी है. 46 किलोमीटर रेलवे ट्रैक मेटुपलायम से कुन्नूर होते हुए ऊर्टी तक जाता है यह 32 पुलों और 16 सुरंगों से होकर गुज़रती है. मेट्टुपालयम से कूनूर तक का दृश्‍य बेहद खूबसूरत है.

दार्जिलिंग टॉय ट्रेन

दार्जिलिंग टॉय ट्रेन, जिसे आधिकारिक रूप से दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे के नाम से जाना जाता है, यह भारत की ऐतिहासिक पहाड़ी रेलवे में से सबसे प्राचीन है. यह लोगों को पूर्वी हिमालय के निचली पहाड़ियों से होते हुए दार्जिलिंग की ऊंची पहाड़ियों व हरे-भरे चाय के बागानों तक ले जाती है. यह रेलवे लाइन पश्चिम बंगाल राज्य के न्यू जलपाइगुड़ी से सिलीगुड़ी, कुर्सेओंग और घुम के जरिए दार्जिलिंग तक 80 किमी की दूरी तय करती है. सफर के लिए य‍दि आपके पास ज्यादा वक्‍त नहीं है, तो दार्जिलिंग से दो घंटे की खुशी की सवारीयां मशहूर हैं. यहां से आप कांचनजंघा पर्वत श्रृंग की सुंदर पहाड़ियों का नजारा देख सकते हैं.

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