सत्पुरुषों में जो आसक्ति है, वही है सत्संग: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, गोवर्धन पूजा- भगवान दो रूप में हो गये. एक रूप में भगवान बृजवासियों के साथ पूजन कर रहे हैं और दूसरे रूप में गिरिराज जी पर प्रकट होकर पूजन स्वीकार कर रहे हैं. मनसुख भगवान को देख रहा था. भगवान ने पूछा मेरी तरफ बार-बार क्या देख रहा है?

मनसुख ने कहा आप यहां हैं की गिरिराज जी के ऊपर है? भगवान ने कहा मैं तो यहां हूं. भगवान कहते हैं जो व्यक्ति जैसा होता है उसके देवता भी वैसे होते हैं, मेरे देवता हैं इसलिए मेरे जैसे हैं. हम आप सामान्य जीव के संदर्भ में भगवान के इस महावाक्य का आशय है. हम जिसका स्मरण करते हैं, उसी की शक्ल हमको प्राप्त होती है.

जो भगवान का निरंतर स्मरण करते हैं उनमें भगवान की महिमा आ जाती है. भूत प्रेत का स्मरण करने वाले उन्हीं के स्वरूप और गति को प्राप्त कर लेते हैं. अतः स्मरण तो भगवान और भगवान के भक्तों का ही करना चाहिए. मकर संक्रांति पर किया गया कार्य अनंत गुना फल देता है. इसीलिए मकर संक्रांति पर भगवत दर्शन, तीर्थ दर्शन,स्नान, पूजा-पाठ, दान-पुण्य की विशेष महिमा है.

सभी हरि भक्तों को तीर्थगुरु पुष्कर आश्रम एवं साक्षात् गोलोकधाम गोवर्धन आश्रम के साधु-संतों की तरफ से शुभ मंगल कामना. श्रीदिव्य घनश्याम धाम श्रीगोवर्धन धाम कॉलोनी बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्रीदिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट, ग्रा.पो.-गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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