शिमला डेवलपमेंट प्लान को मिली मंजूरी, सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया NGT का आदेश

Raginee Rai
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Himachal Pradesh, Shimla Development Plan 2041: सुप्रीम कोर्ट ने शिमला डेवलपमेंट प्लान 2041 को मंजूरी दे दी है. शीर्ष अदालत ने इस प्लान के अमल पर रोक लगाने वाले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के आदेशों को दरकिनार करते हुए सुक्‍खू सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया है. सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने शिमला विकास प्‍लान को पर्यावरण के उपयुक्‍त माना है.

कोर्ट ने कहा कि जहां तक हमने इस प्लान को पहली नजर में देखा है, इसको विभिन्न एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. प्लान में हिमाचल (Himachal Pradesh) के विकास की जरूरतों के साथ पर्यावरण और पारिस्थितिक चिंताओं के बीच संतुलन का ध्यान भी रखा गया है. अदालत ने कहा कि, इसके बावजूद भी अगर इसके प्रावधान पर किसी नागरिक को ऐतराज है तो उपयुक्त फोरम पर शिकायत कर सकता है.

एनजीटी के आदेश रद्द

न्‍यायमूर्ति बीआर गवई की अध्‍यक्षा वाली पीठ ने राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) के पिछले आदेशों को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि हिमाचल सरकार और उसकी अथॉरिटी को एक विशिष्ट तरीके से विकास योजना बनाने का निर्देश देना ट्रिब्यूनल के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. पीठ ने कहा है कि हमने विकास योजना को देखा है. विभिन्न विशेषज्ञ समितियों की रिपोर्टों और पर्यावरणीय और पारिस्थितिक पहलू सहित विभिन्न पहलुओं के संबंध में किए गए अध्ययनों पर विचार करने के बाद विकास योजना को अंतिम रूप दिया गया है. कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया इस पर विचार करने पर हमारा मानना है कि पर्यावरण और पारिस्थितिक चिंताओं की देखभाल एवं समाधान करते हुए विकास की आवश्यकता को संतुलित करने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए गए हैं.

प्‍लान लागू करने की दी अनु‍मति

पारिस्थितिक चिंताओं के साथ-साथ डेवलप को संतुलित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए शीर्ष अदालत गुरुवार को 22450 हेक्टेयर जमीन पर प्रस्तावित शिमला डेवलपमेंट प्‍लान-2041 को लागू करने की अनुमति दे दी. प्‍लान लागू होने पर कुछ प्रतिबंधों के साथ 17 ग्रीन बेल्टों में निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया. इस योजना का मकसद शहर में निर्माण गतिविधियों को विनियमित करना है.

एनजीटी ने योजना को बताया था अवैध  

बता दें कि हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने जून 2023 में नई योजना को मंजूरी दी थी. हालांकि इसके बाद NGT ने इस पर सवाल उठाए थे. इससे पहले, शिमला डेवलपमेंट प्‍लान को पिछली जयराम सरकार ने फरवरी 2022 में मंजूरी दे दी थी, लेकिन मई 2022 में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के स्टे के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका था. एनजीटी ने इस योजना को अवैध करार दिया था और इसे एनजीटी के ऑर्डर के खिलाफ माना था. इसके खिलाफ सुक्खू सरकार ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी. वहीं अब सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सुक्‍खू सरकार की बड़ी जीत है.

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