Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवत महापुराण में तीन श्लोक का वर्णन आता है। श्लोक, पुण्यश्लोक, उत्तमश्लोक। श्लोक तो हम आप सुनते ही हैं। श्रीमद्भागवत महापुराण में अठारह हजार श्लोक हैं।
पुण्यश्लोक संत जन है।-
पुण्यश्लोको नलो राजा,
पुण्यश्लोको युधिष्ठिरः।
पुण्यश्लोको च वैदेही, पुण्यश्लोको जनार्दनः।।
उत्तम श्लोक भगवान है। भागवत में बारंबार भगवान को उत्तमश्लोक कहा गया। भगवान इतने सुंदर हैं। पुल के मध्य में खड़े थे, जलचर जीव दर्शन करके मग्न हो गये। हम आप में तो ज्यादा समझ है। वो जीव तो अज्ञानी है।
देखन कहुँ प्रभु करुनाकंदा।
प्रकट भये सब जलचर बृन्दा।।
मकर नक्र नाना झष व्याला।
सत योजन तन परम विशाला।। तिन्हकी ओट न देखिये बारी। मगन भये हरि रूप निहारी ।।
व्यास जी ने देखा, लिखा, उसका नाम भागवत है। श्री गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने देखा, लिखा, उसका नाम रामायण है। राम जी को रामायण सुनाओ, श्रीकृष्ण को भागवत सुनाओ, श्रीहनुमानजी को सुंदरकांड सुनाओ। क्या श्रीरामजी को रामायण नहीं आती। रामायण के तो नायक ही भगवान श्री राम है। लेकिन भक्त की मधुर भावना को देखकर भगवान भक्त का कल्याण करते हैं।
सभी हरि भक्तों को तीर्थगुरु पुष्कर आश्रम एवं साक्षात् गोलोकधाम गोवर्धन आश्रम के साधु-संतों की तरफ से शुभ मंगल कामना। श्रीदिव्य घनश्याम धाम
श्रीगोवर्धन धाम कॉलोनी बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्रीदिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट, ग्रा.पो.-गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).