Ram Mandir Shriram Vandana: राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर पूरे देश में उत्साह का माहौल है. रामलला की भक्ति से जुड़े अद्वितीय संगीत और लोकप्रिय राम भजन लोगों के दिलों में जगह बनाए हुए हैं. पीएम मोदी समेत देश की लगभग सभी बड़ी हस्तियां रामलला के दरबार में उनके इस महाकार्यक्रम शामिल होने अयोध्या पहुंच गए हैं.
जिस राम राज्य की परिकल्पना की गई थी. वो आज साकार हो रही है. हर किसी के जुंबा से राम राम, जय श्री राम निकल रहा है. आज अयोध्या ही नहीं बल्कि, देश-विदेश के अलग-अलग हिस्सों में राम भक्त जश्न मना रहे हैं. जगह-जगह धार्मिक पूजा पाठ, यज्ञ अनुष्ठान और विशाल भंडारा किया जा रहा है. आप भी अपने घर या आस पास के मंदिर में अवश्य जाएं और भगवान राम की पूजा अर्चना अवश्य करें. आज राम मंदिर के खास मौके पर हम आपके लिए लाए हैं, तुलसीदास द्वारा रचित भगवान राम की वंदना जिसे आप परिवार और मित्रों के साथ पढ़कर रामलला की वंदना कर सकते हैं.
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श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन
हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख
कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥
कन्दर्प अगणित अमित छवि
नव नील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि
नोमि जनक सुतावरं ॥२॥
भजु दीनबन्धु दिनेश दानव
दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल
चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥
शिर मुकुट कुंडल तिलक
चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर
संग्राम जित खरदूषणं ॥४॥
इति वदति तुलसीदास शंकर
शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु
कामादि खलदल गंजनं ॥५॥
मन जाहि राच्यो मिलहि सो
वर सहज सुन्दर सांवरो ।
करुणा निधान सुजान शील
स्नेह जानत रावरो ॥६॥
एहि भांति गौरी असीस सुन सिय
सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि
मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥
॥सोरठा॥
जानी गौरी अनुकूल सिय
हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल वाम
अङ्ग फरकन लगे।