Ramcharitmanas: रामचरितमानस की इन चमत्कारी चौपाइयों में छिपा है हर समस्या का समाधान, आप भी जानिए

Raginee Rai
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Ramcharitmanas Chaupaiअयोध्‍या के राममंदिर में भगवान रामलला विराजमान हो गए हैं. आज का दिन सभी रामभक्‍तों के लिए बेहद खास है. जैसे ही भक्‍तों ने भगवान रामलला की पहली छवि देखी तो ऐसी खुशी हुई कि कई लोगों के आंखों से आंसू निकल आए. मनमोहक मुस्‍कान और अलौकिक रूप देखकर हर कोई भावुक हो गया है. भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्‍तम कहा जाता है.

उनमें ऐसे कई गुण पाए जाते हैं, जो आज के समय में हर इंसान में होना बहुत जरूरी है. ऐस में आज की खबर में हम तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस की उन चौपाइयों को जानेंगे जिसके सुमिरन से हर कठिन परिस्‍थितियों से निकला जा सकता है. मान्‍यता है कि इसका पाठ करने से जन्म जन्मांतरों के पाप से मुक्ति मिलती है. मनुष्‍य का भय, रोग आदि सभी दूर हो जाते हैं. साथ ही जीवन जीने को लेकर नई प्रेरणा का भी प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं उन चमत्कारी चौपाइयों व उनके प्रभाव के बारे में…

रामचरितमानस की चौपाइयां 

हरि अनंत हरि कथा अनंता । 
कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता ॥
रामचंद्र के चरित सुहाए ।
कलप कोटि लगि जाहिं न गाए ॥

इसका चौपाई का अर्थ है कि हरि अनंत हैं, उनका कोई पार नहीं पा सकता है. हरि की कथा भी अनंत है. सभी संत लोग उस कथा को बहुत प्रकार से कहते-सुनते हैं. साथ ही इन पक्तिंयों का मतलब है कि भगवान श्री रामचंद्र के सुंदर चरित्र का कोई बखान नहीं कर सकता, क्योंकि सुंदर चरित्र करोड़ों कल्पों में भी गाए नहीं जा सकते.

जा पर कृपा राम की होई । 
ता पर कृपा करहिं सब कोई ॥
जिनके कपट, दम्भ नहिं माया ।
तिनके हृदय बसहु रघुराया ॥

ये पंक्तियां कहती हैं कि जिन पर भगवान श्री राम की कृपा होती है, उन्हें कोई सांसारिक दुःख छू नहीं सकता. जिन पर परमात्मा की कृपा हो जाती है उस पर तो सभी की कृपा बनी ही रहती हैं। जिसके मन में कपट, झूठ और माया नहीं होती, उन्हीं के हृदय में भगवान राम बसते हैं. इसके साथ ही उनके ऊपर राम की कृपा सदैव होती है.

अगुण सगुण गुण मंदिर सुंदर, भ्रम तम प्रबल प्रताप दिवाकर । 
काम क्रोध मद गज पंचानन, बसहु निरंतर जन मन कानन।।

इसका चौपाई का अर्थ है, हे गुणों के मंदिर! आप सगुण और निर्गुण दोनों है. आपका प्रबल प्रताप सूर्य के प्रकाश के समान काम, क्रोध, नशा और अज्ञान रूपी अंधकार का नाश करने वाला है. आप हमेशा ही अपने भक्‍तों के मन रूपी वन में निवास करते हैं.

कहु तात अस मोर प्रनामा । 
सब प्रकार प्रभु पूरनकामा ॥
दीन दयाल बिरिदु संभारी। 
हरहु नाथ मम संकट भारी॥

इसका अर्थ है कि हे प्रभु! आपको मेरा प्रणाम. मेरा आपसे निवेदन है कि – अगर आप सभी प्रकार से पूर्ण हैं अर्थात आपको किसी प्रकार की कामना नहीं है, तथापि दीन-दुखियों पर दया करना आपका प्रकृति है, अतः हे प्रभु! आप मेरे भारी संकट को हर लीजिए.

होइहि सोइ जो राम रचि राखा । 
को करि तर्क बढ़ावै साखा ॥ 
अस कहि लगे जपन हरिनामा । 
गईं सती जहँ प्रभु सुखधामा ॥

इन पंक्तियों का अर्थ है कि जो कुछ भी संसार में राम ने रचा है, वही होगा. इसलिए इस संबंध में तर्क करने का कोई लाभ नहीं होगा. ऐसा कहकर भगवान शिव हरि का नाम जपने लगे और सती वहां गईं, जहां सुख के धाम भगवान राम थे.

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