Republic Day 2024: इस साल देश अपना 75वा गणतंत्र दिवस मना रहा है जिसमे मुख्य अतिथि के रूप में फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल मैक्रॉन आए है. इससे पहले 2023 में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी हमारे मुख्य अतिथि थे. इस साल का गणतंत्र दिवस महिला केंद्रित है जिसमे परेड और झाकियों में महिला प्रतिनिधित्व कर रहे है. आइये जानते हैं कि गणतंत्र दिवस समारोह के लिए मुख्य अतिथि के चयन की प्रक्रिया क्या है? इसमें मुख्य अतिथियों को बुलाने की शुरुआत कब हुई? अब तक कितने राष्ट्राध्यक्षों को न्योता दिया गया है? अबकी बार फ्रांस के राष्ट्रपति क्यों आमंत्रित किए गए?
गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है?
गणतंत्र दिवस भारत के संविधान को अपनाने की स्मृति में मनाया जाता है, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था. गणतंत्र दिवस आमतौर पर भारत के इतिहास, सरकार और परंपराओं का जश्न मनाने वाले विभिन्न सार्वजनिक और निजी कार्यक्रमों के अलावा परेड, राजनीतिक भाषणों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और समारोहों से जुड़ा होता है.
पहले कैसे चुने जाते थे मुख्य अतिथि?
भारत पहले गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM)से जुड़ा रहा है और इसी कारक ने अतीत में भारत में गणतंत्र दिवस समारोह के लिए मुख्य अतिथि के चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. 1950 और 1960 के दशक का गुटनिरपेक्ष आंदोलन एक अंतर्राष्ट्रीय आंदोलन था जिसने नए उपनिवेशमुक्त देशों को उनकी विकास प्रक्रियाओं में मदद की. भारत के गणतंत्र दिवस के पहले मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो थे. इंडोनेशिया गुटनिरपेक्ष आंदोलन के वित्तपोषण वाले सदस्य देशों में से एक है.
गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि का चयन कैसे किया जाता है?
चयन की प्रक्रिया एक या दो दिन की नहीं होती बल्कि इस प्रक्रिया की शुरुवात छह महीने पहले शुरू हो जाती है. इसमें विदेश मंत्रालय एक मुख्य भूमिका निभाती है. किसी भी गणमान्य व्यक्ति को निमंत्रण देने से पहले सबसे पहली और महत्वपूर्ण चिंता जिस पर ध्यान दिया जाता है वह संभंधित देश और भारत के बीच किस तरह के संबंध है इसपर विचार करना. गणतंत्र दिवस भारत के लिए एक बड़ा आयोजन है और किसी अन्य देश के गणमान्य व्यक्ति को आमंत्रण भेजना उस देश के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाने का प्रतीक है.
इसलिए ऐसा निर्णय महत्वपूर्ण है और इसमें भारत का आर्थिक, सैन्य ,राजनीतिक जैसे महत्वपूर्ण कारको का ध्यान रखा जाना चाहिए. विदेश मंत्रालय इन हितों में आमंत्रित व्यक्ति के देश के साथ संबंधों को बढ़ावा देने के लिए इस बड़े आयोजन को एक सही अवसर के रूप में उपयोग करना चाहता है. विदेश मंत्रालय संभावित उम्मदवारो की एक सूची तैयार करती है फिर वह राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पास उनकी मंज़ूरी के लिए भेजा जाता है. इसके बाद सम्भंदित मुख्य अतिथि की उपलब्धता की पुष्टि के बाद भारत आमंत्रित व्यक्ति के देश के साथ आधिकारिक संचार शुरू करता है.
इस गणतंत्र दिवस फ्रांस क्यों बना हमारा मेहमान?
दिसंबर 2023 में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के अनुपलब्ध होने के बाद भारत ने फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल मैक्रॉन को गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के रूप में निमंत्रण भेजा था. मैक्रॉन ने यह जानते हुए भी स्वीकार किया कि वह दूसरी पसंद हैं, फ्रांसीसी और भारतीय प्रणाली के बीच सहजता दर्शाता है . यह छठी बार होगा जब कोई फ्रांसीसी नेता गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे. मैक्रॉन की यात्रा भारत-फ्रांस संबंधों के लिए एक मील का पत्थर वर्ष है – उनकी रणनीतिक साझेदारी की 25 वीं वर्षगांठ. भारत और फ्रांस के बीच व्यापक रोडमैप, जिसे पिछले साल जुलाई में बैस्टिल दिवस के सम्मानित अतिथि के रूप में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान अपनाया गया था, को तीन स्तंभों के तहत वर्गीकृत किया गया था – सुरक्षा और संप्रभुता के लिए साझेदारी; ग्रह के लिए साझेदारी; और लोगों के लिए साझेदारी.
कौन से देश रह चुके है हमारे अतिथि?
1950 से 1970 के दशक में भारत ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन और पूर्वी ब्लॉक से जुड़े देशों को मुख्य अतिथि बनाया था. 1968 और 1974 में भारत ने एक ही गणतंत्र दिवस पर दो देशों से मुख्य अतिथि को आमंत्रित किया गया था. 1966 में प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के निधन के कारण कोई निमंत्रण नहीं भेजा गया था उसके बाद 2021 और 2022 में कोरोना महामारी के कारण कोई मुख्य अतिथि नहीं था. भारत ने सबसे ज्यादा 36 एशिया एशिआई देशों को समारोह में अतिथि बनाया है. इसके बाद यूरोप के 24 देश और अफ्रीका के 12 देश गणतंत्र दिवस में हमारे मेहमान बने हैं. वहीं दक्षिण अमेरिका के पांच देश, उत्तरी अमेरिका के तीन और ओशिनिया क्षेत्र के एकलौते देश का भारत ने आतिथ्य किया है.