Pariksha Pe Charcha 2024: भारत मंडपम में आज ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम के 7वें संस्करण का आयोजन किया गया. इस दौरान पीएम मोदी ने इस साल होने वाले बोर्ड इम्तिहान में शामिल होने वाले बच्चों से बात की. इस दौरान पीएम मोदी ने बच्चों से कहा कि रील्स देखने में अपना वक्त न बर्बाद करें. बल्कि इसके स्थान पर अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें.
दअसल, पीएम ने कहा कि जिस उम्र में बच्चे हैं, उस एज में भोजन और नींद का संतुलन बनाना बहुत जरूरी है. पीएम ने कहा कि बच्चों को भरपूर नींद लेनी चाहिए, सिर्फ मोबाइल नहीं देखना चाहिए. रील्स का नाम लेते ही बच्चों के चेहरे पर हंसी देखी जा सकती थी. पीएम मोदी ने मोबाइल को लेकर भी उन्होंने बच्चों से कई बातों को कहा. आइए आपको बताते हैं, उन्होंने क्या कुछ कहा….
केवल रील्स देखकर समय ना करें बर्बाद
‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि कई सारे लोग घंटों मोबाइल देखते हैं. बच्चों से कहा कि मोबाइल देखने का एक समय तय करें, हर समय मोबाइल न देखें और देखना जरूरी है तो अपने परिवार को बताएं कि यहां मैथ्स की चीजें हैं, किसी और विषय की चीजें हैं. इसके अलावा अपना स्क्रीन टाइम जरूरत तय करें, वर्ना घरवालों को यही लगेगा कि दोस्तों से लगा हुआ है या रील्स देख रहा है.
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उदाहण देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जैसे मोबाइल को रिचार्ज करना पड़ता है. ठीक वैसे ही शरीर को भी रिचार्ज करना पड़ता है. पीएम ने यह भी कहा कि केवल पढ़ना है तो पढ़ना ही नहीं है, बल्कि जीवन में संतुलन बनाना जरूरी है, इसलिए स्वस्थ शरीर, स्वस्थ मन के लिए बहुत जरूरी है. हमेशा घर में लाइट के सामने ही ना पढ़ें. कभी सन लाइट में बैठकर पढ़ें. कई बार सन लाइट भी रिचार्ज करता है.
शिक्षकों से पीएम मोदी की अपील
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केवल बच्चों को ही नहीं बल्कि शिक्षकों को भी गुरू मंत्र दिया. उन्होंने कहा कि टीचर्स को यह समझना चाहिए कि उनका रिश्ता सिर्फ सिलेबस या विषय तक नहीं रहना चाहिए. शिक्षकों को बच्चों से ऐसा रिश्ता कायम करना चाहिए जिससे वह बच्चों का विश्वास हासिल कर सकें. इससे बच्चे को शिक्षक को अपनी कोई भी बात बताने में हिचक नहीं रहेगी.
पीएम मोदी ने कहा कि शिक्षकों को बच्चों के घर जाना चाहिए. बच्चों के परिवार से मिलना चाहिए. वहीं, पीएम मोदी ने कहा कि जो बच्चा क्लास में कमजोर है उसे भी उतना ही प्यार करें, जितना तेज बच्चों से. उन्होंने शिक्षकों से कहा कि टीचर का काम केवल नौकरी करना नहीं होता है, उसका काम जिंदगी को संवारना और उसे सामर्थ्य देना है. इस प्रकार के शिक्षक ही परिवर्तन लाते हैं.