Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, पापी व्यक्ति से भगवान घृणा नहीं करते, पापी से पापी व्यक्ति भी भगवान की शरण में चला जाये, भगवान उसका कल्याण करते हैं. लेकिन, अभिमानी व्यक्ति प्रभु को अच्छा नहीं लगता. अभिमान भगवान को अच्छा नहीं लगता, किसी का अभिमान नहीं रहने देते.
भगवान इंद्र अपने को त्रिलोकाधिपति मानते थे. गोवर्धन पूजा में इंद्र का मान मर्दन किया और बताना चाहते हैं कि भक्तों की रक्षा मैं कैसे करते हैं. सात दिन भगवान ने गिरिराज को धारण किया, संकेत है कि यदि कोई भक्त भगवान का बन जाये, भगवान की आराधना, उपासना करे तो जिंदगी के सातों दिन भगवान उसकी रक्षा करते हैं.
मनुष्य चाहे सौ वर्ष जिये लेकिन दिन तो सात ही हैं. हर समय परमात्मा भक्त की रक्षा करते हैं। इस बात का संकेत गोवर्धन पूजा में दिया गया है. स्वकर्मणा तमभ्यर्च सिद्धिं विन्दति मानवाः अपना कर्म भी भगवान की पूजा ही है. हमारा जो कर्तव्य कर्म है, प्रत्येक व्यक्ति को उसका सही ढंग से पालन करना चाहिए, यह बात गोवर्धन पूजा में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं.
कृषि गोरक्ष्यवाणिज्यं वैश्यकर्मस्वभावजम्।-गीता। वैश्य को खेती, व्यापार, गाय की सेवा, उसका स्वाभाविक कर्म है. गाय की सेवा होती है गोवर्धन से, और भगवान बृजवासियों से कहते हैं हम सब गोवर्धन की पूजा करेंगे. बृजवासी गोप गोपियों को बड़ी प्रसन्नता हुई. सब सोचते थे कभी ऐसा होगा कि हम भगवान के साथ लम्बा समय तय करेंगे, लंबे समय तक रहेंगे.
भगवान भक्त वांछा कल्पतरु है, सात दिन, सात रात, गोपियां बृजवासी दिन-रात भगवान के साथ रहने का अवसर प्राप्त किये. कल की कथा में श्री कृष्ण रुक्मिणी के विवाह की कथा होगी. सभी हरि भक्तों को तीर्थगुरु पुष्कर आश्रम एवं साक्षात् गोलोकधाम गोवर्धन आश्रम के साधु-संतों की तरफ से शुभ मंगल कामनाऋ श्री दिव्य घनश्याम धाम श्रीगोवर्धन धाम कॉलोनी बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्रीदिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट, ग्रा.पो.-गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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