Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, एकज्जोति दिधाभूत राधामाधव रूपकं।। एक ही ज्योत दो रूपों में प्रकट हो जाती है जिनका हम भगवान राधा-कृष्ण के रूप में दर्शन करते हैं। नाम संकीर्तनं यस्य- जिन भगवान के नाम का संकीर्तन समस्त पापों को नष्ट करने वाला है, जिनके चरणों में किया गया वंदन समस्त दुःखों का शमन करने वाला है, उन श्री राधा-कृष्ण भगवान को बारम्बार वंदन।
श्री शुकदेव जी महाराज अपने अंतिम उपदेश में कहते हैं कि मैं मरूंगा यह चिंतन अज्ञान है। मैं कभी नहीं मारता। न जायते मृयते वा कदाचिद्। आत्मा कभी मरती नहीं और शरीर तो मरा हुआ ही है। मैं शरीर हूं, मैं संसार का हूं, यह विचार हमेशा तनाव, दुःख, भय देने वाला है। अहंब्रह्म परमधाम- मैं परमात्मा का भक्त हूं, दास हूं, अंश हूं, पुत्र हूं, परमात्मा का हूं।
ये भाव जीवन में जग जाये, बस “भाव जागे और भय भागे।” सभी हरि भक्तों को तीर्थगुरु पुष्कर आश्रम एवं साक्षात् गोलोकधाम गोवर्धन आश्रम के साधु-संतों की तरफ से शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम
श्रीगोवर्धन धाम कॉलोनी बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्रीदिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट, ग्रा. पो.-गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).