White Paper Vs Black Paper: अंतरिम बजट 2024-25 के बजट भाषण के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक ‘श्वेत पत्र’ लाने की घोषणा की थी. यह ‘श्वेत पत्र’ आज लोकसभा की पटल पर रखा गया. इस ‘श्वेत पत्र’ में यूपीए शासन के 10 सालों के आर्थिक प्रदर्शन पर प्रकाश डाला जाएगा. इस पत्र के माध्यम से एनडीए सरकार यह बताने की कोशिश करेगी कि देश की अर्थव्यवस्था 2014 में क्या थी और आज कहां खड़ी है.
लोकसभा में लाए गए ‘श्वेत पत्र’ के माध्यम से भारत की आर्थिक बदहाली और अर्थव्यवस्था पर इसके नकारात्मक प्रभावों के बारे में विस्तार से बताया जाएगा. इतना ही नहीं तत्कालीन आर्थिक बदहाली के समय उठाए जा सकने वाले सकारात्मक कदमों के असर के बारे में भी इस ‘श्वेत पत्र’ में बात की जाएगी.
बीजेपी ने आज शाम ‘श्वेत पत्र’ लोकसभा में रखा. इससे पहले आज कांग्रेस ने ‘ब्लैक पेपर’ जारी किया है. आज की सदन की कार्रवाही से पहले ही कांग्रेस ने ‘ब्लैक पेपर’ जारी किया है. बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संसद भवन परिसर में यह ‘ब्लैक पेपर’ जारी किया. इस ब्लैक पेपर पर पीएम मोदी ने तंज भी कसा और कहा कि ये ‘काला टीका’ की तरह है, जिसे कांग्रेस सरकार के कामों को देखकर लगा रही है. पीएम ने यह भी कहा कि जब अच्छा काम कोई करता है तो उसे काला टीका लगाया जाता है, जिससे उसको नजर ना लगे.
आपको जानकर हैरानी होगी कि ‘ब्लैक पेपर’ और ‘व्हाइट पेपर’ का अंतर सिर्फ नाम तक सीमित नहीं है. बल्कि सरकारों और संगठन के लिहाज से उनका अलग-अलग इस्तेमाल किया जाता है. आइए आपको बताते हैं कि ‘श्वेत पत्र’ और ‘ब्लैक पेपर’ में मुख्य अंतर क्या होता है?
क्या होता है ‘ब्लैक पेपर’?
जानकारी दें कि ‘ब्लैक पेपर’ के जरिए किसी भी विषय, नीति या मुद्दे की आलोचना की जाती है. ‘ब्लैक पेपर’ बनी-बनाई धारणाओं को चुनौती देने के लिए लाया जाता है. इस पत्र में विवादित मुद्दों को उठाया जाता है. वहीं, सबूत भी पेश किए जाते हैं. साथ में मुद्दों को सुलझाने के लिए वैकल्पिक रास्ते की भी पेशकश की जाती है.
‘ब्लैक पेपर’ में मौजूदा सरकार की नीतियों, प्रथाओं या दृष्टिकोणों का संपूर्ण विश्लेषण और मूल्यांकन किया जाता है. चल रहे वर्तमान के नैरेटिव को चुनौती देने के साथ असहमति या विरोध दर्ज काराया जाता है.
अक्सर ‘ब्लैक पेपर’ विवादास्पद विषयों पर केंद्रीत होता है. इसमें इससे निपटने के वैकल्पिक रास्तों के बारे में जानकारी होती है. ‘ब्लैक पेपर’ में मुद्दे से जुड़े तमाम तरह के प्रूफ पेश किए जाते हैं.
जानिए क्या होता है ‘श्वेत पत्र’?
‘श्वेत पत्र’ या फिर ‘व्हाइट पेपर’ किसी खास विषय पर जानकारी देता है. इसमें तमाम प्रकार के विश्लेषण शामिल होते हैं. आम तौर पर सरकार, संगठन या विशेषज्ञ ‘श्वेत पत्र’ यानी ‘व्हाइट पेपर’ जारी करते हैं. इसका मुख्य उद्देश्य डिसीजन-मेकिंग में मदद करना, समाधान प्रस्तावित करना या कार्रवाई के लिए सिफारिशें प्रस्तुत करना है.
‘श्वेत पत्र’ में किसी भी विशेष मुद्दे या नीति पर विस्तृत और व्यापक जानकारी दी जाती है. ‘श्वेत पत्र’ की टोन न्यूट्रल होती है. इसमें केवल जानकारी होती है, इसमें किसी प्रकार का कोई विश्लेषण नहीं होता है. इसमें पहल या सुधार के लिए प्रस्ताव या सिफारिशें शामिल हो सकती हैं.
कांग्रेस ने गुरुवार को जारी किया ‘ब्लैक पेपर’
आज संसद में कांग्रेस की ओर ‘ब्लैक पेपर’ जारी किया गया था. इस ‘ब्लैक पेपर’ को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जिन खरगे ने सदन की पटल पर रखा था. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने इस दौरान कहा कि हम आज केंद्र सरकार के खिलाफ ‘ब्लैक पेपर’ निकाल रहे हैं क्योंकि वे हमेशा सदन में अपनी कामयाबी की बात रखते हैं और अपनी विफलता छुपाते हैं और जब हम उनकी विफलता बताते हैं तब हमें महत्व नहीं दिया जाता है. इस ‘ब्लैक पेपर’ में हमारे मुख्य मुद्दे बेरोजगारी है जो देश का सबसे बड़ा मुद्दा है और बीजेपी इस बारे में कभी बात नहीं करती
बीजेपी ने बताया ‘काला टीका’
कांग्रेस के ‘ब्लैक पेपर’ को बीजेपी की ओर ‘काला टीका’ करार दिया गया. पीएम मोदी ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि जैसे घर में बुरी नजर से बचाने के लिए ‘काला टीका’ लगा दिया जाता है. वैसे ही सरकार कई अच्छे काम कर रही है और उसे नजर से बचाने के लिए इन्होंने ‘काला टीका’ लगा दिया है.
वहीं, बीजेपी नेता रवि शंकर प्रसाद ने कहा, “भ्रष्टाचार और काले कारनामे करने वाले और कर भी क्या सकते हैं. आज प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में भारत ईमानदारी से आगे बढ़ रहा है. अब 2G, कोयला घोटाले की कहानी बंद हो गई है.हम कांग्रेस की परेशानी समझते हैं.”
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