Indore Woman Beggar: आज के इस बेरोजगारी के समय में यदि आपको कोई कहें कि क्या आप महिने भर में डेढ़ से दो लाख रूपये कमा सकते है, तो आप वाकई सोचने लगेंगे कि ऐसी कौन सी नौकरी है जिसमें महिने भर में इतना कमाया जा सकता है. लेकिन इंदौर की इंद्रा बाई ने ऐसा कर सबको ही सोचने पर मजबूर कर दिया है. इनके आगे गणित के बड़े-बड़े मैनेजमेंट एक्सपर्ट्स को फेल नजर आ रहे है. ऐसे में अब आपके के भी मन में सवाल उठ रहा होगा कि भई आखिर ऐसा कौन सा काम करती हैं इंद्रा बाई. तो चलिए बिना देर किए आपको बताते हैं इनकी पूरी स्टोरी के बारे में, जिसे जान आप भी हो जाएगे हैरान.
इंद्रा बाई की हैरान करने वाली बातें..
दरअसल, इंदौर की रहने वाली इंद्रा बाई के पांच बच्चें है और वो अपने पांचों बच्चों से इंदौर में भीख मंगवाती थी. इंद्रा ने उनसे भीख मंगवा-मंगवाकर ही दो मंजिला मकान बनवा लिया, जमीन का प्लॉट खरीद ली. इतना ही नहीं, वह 20 हजार रुपये का स्मार्टफोन चलाती है और उनके घर में मोटरसाइकिल भी है. हालांकि ऐसा करने के लिए वह कई बार जेल भी जा चुकी है. बता दें कि उनके बच्चों की उम्र 10, 8, 7, 3 और 2 साल है.
इंद्रा बाई अपने बच्चों को इंदौर के लव कुश चौराहे पर बिठाती थी. बता दें कि यहां से महाकाल मंदिर वाले उज्जैन के लिए रोड निकलती है. अंदाजा लगाया गया कि उन्होंने इस चौराहे को इसलिए चुना क्योंकि यह उज्जैन का ट्रांजिट पॉइंट है. साथ ही उज्जैन जा रहे श्रद्धालु भीख मांगने वाले बच्चों और महिलाओं को कम दुत्कारते हैं और वापस लौटते समय तो बिल्कुल भी नही.
इंद्रा की लाखों का इनकम
लेकिन 9 फरवरी की इंद्रा की किस्मत ने उसका साथ नहीं दिया. उसे अपनी 7 साल की बेटी के साथ भीख मांगते पकड़ लिया गया. वही, उसका पति और दो बच्चे भागने में सफल रहे. पुलिस अधिकारियों को इंद्रा के पास से 19,600 रुपये और बेटी के पास 600 रुपये मिले. गिरफ्तारी के बाद इंद्रा ने बताया कि इससे पहले के 45 दिनों में उसने इस तरीके से 2.5 लाख रुपये बनाए हैं.
Indore Woman Beggar: मिड-रेंज स्मार्टफोन
इंद्रा ने बताया कि उसका राजस्थान में कोटा के पास दो मंजिला मकान है और उसके पास खेतिहर जमीन भी है. वह मिड-रेंज स्मार्टफोन चलाती है और पति मोटरसाइकिल से चलता है, और ये सब भीख मांगने की वजह से ही. इंद्रा ने कहा कि महाकाल लोक बनने के बाद उसकी आमदनी में कई गुना बढ़ोतरी हुई है.
‘चोरी से तो अच्छा है’
जानकारी के अनुसार, इंदौर नगर निगम के साथ मिलकर संस्था प्रवेश नाम का NGO भिखारियों को बसाने की मुहिम चला रहा है. ऐसे में ही 9 फरवरी को जब उसके वालंटियर्स और अधिकारियों ने इंद्रा बाई और उसकी बेटी को पकड़ा तो वह उनसे उलझ गई. NGO के लोगों से उसने कहा कि ‘भूखे मरने के बजाय हमने भीख मांगना चुना. यह चोरी से तो अच्छा ही है.’ हालांकि पुलिस ने इंद्रा को कस्टडी में लेकर उसकी बेटी को NGO के हवाले कर दिया.
बता दें कि यह NGO इंदौर के 38 बड़े चौराहों पर मौजूद भिखारियों का डेटा जुटा रहा है. लगभग 7,000 भिखारियों में से आधे बच्चे हैं. NGO वालंटियर रुपाली जैन ने मीडिया को बताया कि ‘मोटा मोटी वे लोग साल में 20 करोड़ रुपये कमाते हैं.’
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