Bhangarh Fort: क्या सच में भूतिया है भानगढ़ फोर्ट ? जानिए राजस्थान के इस मोस्ट Haunted किले की कहानी, सूर्यास्त के बाद नहीं होती है Entry

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Bhangarh Fort: भारत धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यताओं से जुड़ा देश है. यहां धर्म और देवी-देवताओं में आस्था है, तो बुरी शक्तियों पर भी लोग यकीन करते हैं. देश में कई ऐसी जगहें हैं जहां के लिए माना जाता है कि यहां बुरी शक्तियों या फिर कहें भूतों और आत्माओं का कब्जा है. ऐसे ही कुछ भूतिया स्थलों में सबसे ज्यादा मशहूर जगह है राजस्थान में मौजूद भानगढ़ का किला. इस किले का अपना एक समृद्ध इतिहास है. हालांकि, यह अपनी रहस्यमयी चीजों के लिए ज्यादा मशहूर है, तो आइए जानते हैं भानगढ़ किले का क्‍या इतिहास है और इससे जुड़ा रहस्य…

भानगढ़ किले (Bhangarh Fort) का इतिहास

भानगढ़ का किला जयपुर और अलवर शहर के बीच सरिस्का सेंचुरी से 50 कि.मी. दूर स्थित है. इस किले का निर्माण 17वीं शताब्दी में आमेर के महान मुगल सेनापति मानसिंह के छोटे भाई राजा माधव सिंह ने करवाया था. शाही महल के अलावा भानगढ़ में सन 1720 तक 9000 से अधिक घर भी थे, जो बाद में धीरे-धीरे गायब होते चले गए. इस किले के परिसर में भव्य हवेलियों, मंदिरों और सुनसान बाजारों के अवशेष हैं, जो इसके सुनहरी इतिहास का संकेत देते हैं. यह किला अपने शांत वातावरण और खूबसूरत वास्तु कला की वजह से पर्यटन की भारी संख्या को आकर्षित करता है. इस जगह की अनोखी बात यह है कि यहां के घरों में छत नहीं हैं. लोगों का कहना है कि अगर आप यहां के घरों की दीवारों के पास अपने कान लगाएंगे, तो आपको भूत और आत्मा की आवाज सुनाई देंगी.

शाम के समय जाना मना

भानगढ़ का यह किला अपनी खूबसूरती के अलावा अपने रहस्यों के लिए भी जाना जाता है. यह भारत की सबसे ज्यादा हॉन्टेड प्लेस में से भी एक है. यही कारण है कि सूरज ढलने के बाद इस किले में किसी भी टूरिस्ट को जाने नहीं दिया जाता है. मान्‍यता है कि यहां पैरानॉर्मल एक्टिविटी होती है. किले में मौजूद नेगेटिव एनर्जी की वजह से कोई भी यात्री शाम के बाद न तो यहां प्रवेश करता है और न ही किले के अंदर घूमता है.

क्या है इस किले की कहानी?

इस किले को लेकर कई मान्यताएं हैं. पहली मान्यता बाबा बलाऊ नाथ नाम के एक साधु से जुड़ी है. माना जाता है कि जिस जगह पर इस किले का निर्माण किया गया है, वह इन्ही साधु की थी. ऐसे में साधु ने किला बनाने की अनुमति इस शर्त पर दी थी कि किला या उसके भीतर की कोई भी इमारत उनके घर से ऊंची नहीं होनी चाहिए. अगर किसी संरचना की छाया उनके घर पर पड़ी, तो यह किला नष्ट हो जाएगा. कहा जाता है कि माधो सिंह के पोते अजब सिंह ने इस चेतावनी को नजरअंदाज कर किले की ऊंचाई बहुत बढ़ा दी, जिसके परिणामस्वरूप साधु के घर पर छाया पड़ी और शहर नष्ट हो गया.

राजकुमारी रत्नावती से भी जुड़े हैं तार

इस किले के हॉन्टेड होने की कहानी यहां की राजकुमारी रत्नावती से जुड़ी है. कहा जाता है कि राजकुमारी बहुत सुंदर थी, जिसकी वजह से काले जादू में माहिर एक जादूगर को राजकुमारी से प्यार हो गया. एक दिन जब राजकुमारी अपनी सहेलियों के साथ खरीदारी करने गई, तो जादूगर ने उन्हे इत्र खरीदते देखा और इत्र को प्रेम औषधि से बदल दिया. हालांकि, राजकुमारी को जादूगर की चाल का पता चल गया और उसने औषधि को पास के एक पत्थर पर फेंक दिया. इसके परिणामस्वरूप चट्टान जादूगर की ओर लुढ़की और चट्टान से कुचलकर उसकी मौत हो गई. हालांकि, मरने से पहले जादूगर ने शहर को श्राप दिया और कहा कि यह जल्द ही नष्ट हो जाएगा और कोई भी इसके परिसर में नहीं रह पाएगा. बाद में मुगल सेना ने राज्य पर हमला कर कब्जा कर लिया और राजकुमारी रत्नावती समेत किले के सभी निवासियों को मार डाला.

क्यों भूतिया कहलाता है किला?

लोगों का ऐसा मानना है कि भानगढ़ के घरों की दीवारों के पास कान लगाने पर आपको आत्माओं की आवाज सुनाई देगी. इसके अलावा स्थानीय लोगों का यह भी मानना है कि अक्सर किले से किसी औरत के चिल्लाने, चूड़ियां तोड़ने और रोने की आवाज भी सुनाई देती है. वहीं, दिन के समय इस किले में जाने वाले कुछ लोगों का कहना है कि किले में उन्हें ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई उनका पीछा कर रहा है.

क्या सच में भूतिया है भानगढ़ का किला?

वास्तव में भानगढ़ किला भूतिया नहीं है. यह एक बहुत ही सुंदर किला है, जिसे देखने के लिए कई पर्यटक आते हैं. इस जगह से जुड़ी भूतिया कहानी इस जगह को और भी भूतिया बनाती है. लोगों का कहना है कि ये कहानियां यहां आने वाले पर्यटकों को उत्सुक करने के लिए बनाई गई हैं. हालांकि, यहां पर कई बरगद के पेड़ हैं, जिससे इस जगह को देखकर बहुत डर लगता है. लेकिन फिर भी शाम 5 बजे के बाद नियमों को तोडऩे की कोशिश नहीं करनी चाहिए.

कैसे पहुंचें भानगढ़ किला?

आमतौर पर भानगढ़ पहुंचने के लिए आपको अलवर जाना होगा. आप राजस्थान के बाहरी शहरों से बस या टैक्सी से अलवर पहुंच सकते हैं. आप अगर एनएच 48 से यात्रा करते हैं, तो दिल्‍ली से भानगढ़ किले की दूरी 283.5 किमी है. इसका मतलब हे कि डेस्टीनेशन तक पहुंचने में कम से कम 6 घंटे का समय लगेगा. लेकिन, अगर अप जयपुर से यात्रा कर रहे हैं, तो 2 घ्ंटे में आप भानगढ़ पहुंच जाएंगे. भारतीय पयर्टकों के लिए भानगढ़ किलो की एंट्री फीस 40 रूपए और विदेशी पर्यटकों के लिए 200 रूपए है.

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