Maratha Reservation: महाराष्ट्र से एक बड़ी खबर सामेन आई है. यहां पर मराठा समुदाय के लिए 10 आरक्षण का रास्ता लगभग साफ हो गया है. बता दें कि इस आरक्षण को लेकर राज्य की एकनाथ शिंदे सरकार ने मंगलवार को महाराष्ट्र विधानसभा में यह आरक्षण विधेयक पेश किया. इस विधेयक को पेश करने के लिए ही राज्य विधानसभा में एक दिन का विशेष सत्र बुलाया गया था. विधानसभा में इस विधेय को पारित कर लिया गया है.
यहां से पास होने के बाद इस बिल को विधान परिषद में रखा जाएगा, जहां से पास होने के बाद राज्यपाल के पास भेजा जाएगा. राज्यपाल की मुहर लगने के साथ ही मराठा लोगों को इसका लाभ मिलना शुरू हो जाएगा. इस आरक्षण की मांग लंबे वक्त से की जा रही थी.
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क्या बोले राज्य के सीएम
इस बिल पर बोलते हुए महारष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे की गठबंधन ने कहा कि मैं राज्य का सीएम हूं और सभी के आशीर्वाद से काम करता हूं. हम जाति या धर्म के आधार पर नहीं सोचते हैं. हमारे प्रधानमंत्री हमेशा कहते हैं सबका साथ, सबका विकास.
आपको बता दें कि एकनाथ शिंदे की गठबंधन सरकार ने आज 10 प्रतिशत मराठा कोटा के जिस विधेयक को मंजूरी दी है. यह विधेयक तत्कालीन देवेंद्र फड़नवीस सरकार द्वारा पेश किए गए सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग अधिनियम, 2018 के समान है.
जानिए इसकी मुख्य बातें
- मराठा समाज की सरकारी नौकरियों और शिक्षा में भागीदारी कम है, इसलिए उनको पर्याप्त भागीदारी देने की जरूरत है.
- इसलिए मराठा समाज को सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा घोषित करते हैं.
- सर्वे की रिपोर्ट से ये पता चलता है कि मराठा समाज सामाजिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ है.
- रिपोर्ट के अध्ययन से ये भी पता चलता है कि सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक दृष्टि से मराठा समुदाय की पहचान निम्नतम है.
- मराठा समाज की जनसंख्या राज्य की कुल जनसंख्या की 28 फीसदी है.
- कुल 52 फीसदी आरक्षण में कई बड़ी जातियां और वर्ग पहले से शामिल हैं, ऐसे में 28 फीसदी जनसंख्या वाले समाज को अन्य पिछड़ा वर्ग में रखना असमानता होगी. इसलिए इस समाज को अलग से आरक्षण देने की ज़रूरत है.