Braj Ki Holi 2024: इस दिन शुरू होगा मथुरा-वृंदावन में रंगोत्सव, जानिए लट्ठमार से लड्डू होली तक की लिस्ट

Shubham Tiwari
Shubham Tiwari
Sub Editor The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Must Read
Shubham Tiwari
Shubham Tiwari
Sub Editor The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Braj Ki Holi 2024: वैसे तो रंगोत्सव का महापर्व होली पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है. लेकिन कान्हा की नगरी मथुरा-वृंदावन की होली सबसे अधिक प्रसिद्ध है. ब्रज की होली देखने के लिए देश ही नहीं विदेशों से भी लोग आते हैं. बता दें कि भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा-वृंदावन में रंगो का यह उत्सव 40 दिनों तक चलता है.

इस दिन शुरू होती है मथुरा-वृंदावन में होली

यूं तो होली पूरे देश में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. भारत के अलग-अलग हिस्सों में होली का अलग-अलग रंग देखने को मिलता है. लेकिन ब्रज की होली सबसे अधिक प्रसिद्ध है. मथुरा-वृंदावन और बरसाना की होली देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं. यहां रंगो के उत्सव की शुरुआत बसंत पंचमी से होती है. जो 40 दिनों तक चलता है. परंपरा के अनुसार बसंत पंचमी के दिन बांके बिहारी मंदिर के पुजारी ने आरती के बाद कृष्ण जी को गुलाल का टीका लगाकर होली के इस पर्व का शुभारंभ कर दिया है. रंगोत्सव का समापन रंग पंचमी के दिन होता है. आइए जानते हैं पूरे ब्रज में कौन सी होली किस दिन खेली जाएगी. देखिए पूरा कैलेंडेर

ये भी पढ़ें- Holi 2024 Date: होली कब 24 या 25 मार्च ? जानिए कब किया जाएगा होलिका दहन

ब्रज की होली कैलेंडर 2024-

17 मार्च 2024- श्रीजी मंदिर में लड्डू होली (बरसाना)

18 मार्च 2024-  लट्ठमार होली (बरसाना)

19 मार्च 2024- नंद भवन में लट्ठमार होली (नंदगांव)

20 मार्च 2024- रंगभरी एकादशी (वृंदावन)

21 मार्च 2024- छड़ीमार होली, बांके बिहारी मंदिर में फूलों की होली (गोकुल)

22 मार्च 2024- गोकुल होली

24 मार्च 2024- होलिका दहन (द्वारकाधीश मंदिर डोला, मथुरा विश्राम घाट, बांके बिहारी वृंदावन में)

25 मार्च 2024- पूरे ब्रज में होली का उत्सव मनाया जाएगा

26 मार्च 2024- दाऊजी का हुरंगा

30 मार्च 2024- रंग पंचमी पर रंगनाथ जी मंदिर में होली

ब्रज की होली की खासियत?

आपको बता दें कि जहां देश के अलग-अलग हिस्सों में रंग, गुलाल और पानी से होली खेली जाती है. वहीं, दूसरी तरफ रंग-गुलाल के अलावा लट्ठमार, छड़ीमार, लड्डू और फूलों वाली होली मनाई जाती है. पौराणिक मान्यतानुसार द्वापरयुग में भगवान कृष्ण ने राधा रानी और गोपियों के साथ लट्ठमार होली खेली थी. इसके बाद से ही यहां लट्ठमार होली खेलने की परंपरा शुरू हुई.

Latest News

अब युवाओं के हाथों में भारत का भविष्य, बोले डॉ. राजेश्वर सिंह- ‘भारत को 2047 तक 15 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी… ‘

Thoughts Of Dr Rajeshwar Singh: बीजेपी के लोकप्रिय नेता एवं सरोजनीनगर के विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह (Rajeshwar Singh) युवाओं...

More Articles Like This