Supreme Court: देशभर में जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाने के लिए सामुदायिक रसोई चलाने का आदेश देने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. अपने आदेश में एससी ने कहा कि देश में पहले से ही नागरिकों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून और अन्य योजनाओं के जरिए अनाज उपलब्ध कराया जा रहा है. ऐसे में इसपर अलग से कोई आदेश देने की जरूरत नहीं है. सरकारों को अगर लगता है कि ऐसा किया जाना चाहिए, तो वे विचार करने के लिए स्वतंत्र हैं.
विचार करने के लिए स्वतंत्र है सरकार
मामले की सुनवाई करते हुए एससी ने कहा, उसने इस बात की कोई जांच नहीं की है कि सामुदायिक रसोई की अवधारणा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक बेहतर विकल्प है या नहीं. इसका निर्णय राज्य व केंद्र सरकार पर छोड़ा जा रहा है.
याचिका में सरकार को आदेश देने की मांग
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कोर्ट से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपने यहां सामुदायिक रसोई चलाने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी. याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि कोर्ट केंद्र सरकार को इस बारे में राष्ट्रीय नीति बनाने का निर्देश दे. न्यायाधीश बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मिथल की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए ये फैसला दिया.
पीठ ने कहा, “जब खाद्य और पोषण सुरक्षा प्रदान करने का अधिकार-आधारित दृष्टिकोण देने वाला राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू है और उससेअन्य कल्याणकारी योजनाएं भी पर्याप्त मात्रा में चलाई जा रही हैं, तो फिर हम इस संबंध में कोई और दिशा-निर्देश देने का प्रस्ताव नहीं करते हैं.”
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