माउंट एवरेस्ट को क्यों कहते हैं दुनिया का सबसे ऊंचा कब्रिस्तान? जानिए वजह

Raginee Rai
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Mount Everest: दुनिया में कई ऐसी जगहें है जो अपने अंदर रहस्‍यों को समेटे हुए है. ये जगहे अपने रहस्‍यों और किस्‍सों की वजह से दुनियाभर में मशहूर हैं. इन्‍हीं रहस्‍यमयी जगहों में से एक है माउंट एवरेस्‍ट. यह दुनिया की सबसे ऊंची चोटी है. माउंट एवरेस्ट नेपाल में है, जिसकी ऊंचाई 8848 मीटर है. इस पहाड़ की चढ़ाई दुनिया के सबसे कठिन कामों में से एक माना जाता है.

दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्‍ट को कई लोगों ने फतह किया है. वहीं कुछ लोगों का सपना अधूरा रह गया. फतह हासिल करने में कई भारतीय लोगों का नाम भी शामिल है. लेकिन क्‍या आपको पता है कि माउंट एवरेस्‍ट को दुनिया का सबसे ऊंचा कब्रिस्तान के नाम से भी जाना जाता है. जी हां, ये सच है. आज की खबर में हम इसके बारे में विस्‍तार से जानेंगे.

सस्ता है परमिट

माउंट एवरेस्ट के जिस शिखर पर चढ़ाई करनी होती वो रास्ता नेपाल से होकर गुजरता है. सबसे बड़ी बात ये है कि नेपाल की अर्थव्यवस्था में भी योगदान माउंट एवरेस्ट का है. यहां के स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलता है. नेपाल की सरकार भारतीय लोगों को 1500 नेपाली रुपए में एंट्री परमिट देती है, लेकिन इसकी चढ़ाई करने में लाखों रूपये खर्च होता है.

सबसे ऊंचा शमशान

माउंट एवेरेस्ट को दुनिया का सबसे ऊंचा कब्रिस्तान कहते हैं, क्‍योंकि यहां से मुर्दों की लाशें तक वापिस नहीं लाई जा सकती. यहां बर्फ में न जानें कितने पर्वतारोहियों की लाशें दबी हुई हैं. सस्ता परमिट और फिटनेस की पुख्ता जांच न होने के वजह से लोग एक्सपीडिशन कंपनियों को पैसा देकर बिना किसी अनुभव के एवरेस्ट पर चढ़ाई के लिए निकल जाते हैं. एवरेस्ट के रास्ते में सबसे ज्यादा भीड़ इन्हीं लोगों के कारण होती है और जाम भी लग जाता है.

मनुष्‍य का शरीर ज्यादा ऊंचाई नहीं झेल सकता है. 8 हजार फीट की ऊंचाई से ऊपर जाते ही लोगों को सिरदर्द, उल्टी और चक्कर जैसे समस्‍या होने लगती है. इतनी ऊंचाई पर सिलेंडर में बची एक-एक मिनट की ऑक्सीजन की कीमत बहुत ज्‍यादा होती है. सिर्फ यही नहीं, ज्‍यादा ऊंचाई के कारण सेरेब्रल एडीमा से दिमाग में सूजन आ जाती है. चढ़ाई के दौरान मौसम में परिवर्तन, स‍र्दी, ऑक्सीजन की कमी आदि का सामना करना हर किसी के बस की बात नहीं होती. इसलिए यहां पर्वारोहियों की मौत हो जाती है.

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