स्वयं भगवान के श्री मुख से निःसृत ग्रंथ है श्रीमद्भागवत: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवत भगवान का वांगमय स्वरूप है. श्रीमद्भागवत स्वयं भगवान के श्री मुख से निःसृत ग्रंथ है. इतिहास पुराणानां पंचमो वेदाः श्रीमद्भागवत महापुराण पंचम वेद है. श्रीमद्भागवत महापुराण में समस्त वेदों और उपनिषदों का सार है. श्रीमद्भागवत रस-सिंधु है.

श्रीमद्भागवत ज्ञान-वैराग्य और भक्ति का समुच्चय है. श्रीमद्भागवत सभी पुराणों में सर्वोपरि है, इसीलिए ‘ श्रीमद् शब्द के तिलक से इसे अलंकृत किया गया है. श्रीमद्भागवत सभी भगवत्तत्व को प्रकाशित करने वाला अलौकिक प्रकाश पुंज है। मृत्यु को मंगलमय बनाने वाला ग्रंथ है. विशुद्ध प्रेम शास्त्र है, मानव जीवन को भगवत्परायण बनाने वाला ग्रंथ है.

श्रीमद्भागवत आध्यात्मिक रस वितरण की सार्वजनिक प्याऊ है. व्यक्ति को शांति एवं समाज को क्रांति देने वाला शास्त्र है. श्रीमद्भागवत परम सत्य की अनुभूति कराने वाला ग्रंथ है. काल के भय से मुक्त कराने वाला ग्रंथ है. श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण, मनन एवं चिंतन भक्तिप्रदाता है. भगवान के अवतारों का इतिहास है, नर को नारायण पद प्राप्त करने के लिए उत्तम सोपान है.

सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर( राजस्थान).

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