Ramzan 2024: कब होगा माह-ए-रमजान का पहला रोजा, 11 या 12 मार्च जानें डिटेल

Ramadan 2024: रमजान के महीने का मुसलमान बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं. इस्लाम धर्म में इस मुबारक महीने को बहुत ही पाक माना जाता है. रमजान शुरू होते ही पूरे एक महीने तक रोजा रखा जाता है और फिर ईंद मनाई जाती है. 

रजमान-ए-पाक का महीना इस साल 11 मार्च में शुरू हो जाएगा. आइए बताते हैं मार्च में कब पहला रोजा रखा जाएगा और सहरी- इफ्तार का समय क्या होगा.

रमजान का महीना शाबान के महीने के बाद शुरू होता है. इस बार शाबान का महीना 9 मार्च या 10 मार्च को खत्म होगा, तो इस हिसाब से पहला रोजा 10 या फिर 11 मार्च को रखा जाएगा. अगर 10 मार्च को चांद दिख गया तो, 11 मार्च से रमजान का महीना शुरू हो जाएगा. 

सऊदी अरब में जिस दिन रमजान का चांद नजर आता है, उसके अगले दिन भारत में पहला रोजा रखा जाता है. ये पाक महीना ईद-उल-फितर के साथ पूरा होता है.हालांकि चांद के दिखने पर डेट आगे या पीछे हो सकती है.

इस्लामिक कैलेंडर चंद्रमा पर आधारित होता है. ऐसे में 12 इस्लामी महीने में 12 चांद महीने पर निर्भर होते हैं. इसलिए हर साल रमजान लगभग 11 दिन पीछे चलता है. इन अनुमान और संभावना के आधार पर ही 2024 में रमजान 11 मार्च से शुरू होने की उम्मीद है.

रमजान पूरे एक महीने के होते हैं, लेकिन यह चांद पर निर्भर करता है कि रमजान के महीने में दिन कितने होंगे. मगर यह तो तय है कि रमजान का महीना अप्रैल में खत्म होगा और ईद 9 या 10 अप्रैल 2024 तारीख की मनाई जाएगी.

इस्लाम धर्म में रमजान के महीने के पूरे 30 दिन रोजा रखते हैं. रोजे के दौरान सूर्योदय से पहले सहरी की जाती है और फिर बिना खाएं-पिए दिन भर रोजा रखते हैं और शाम को सूर्यास्त के बाद इफ्तार के समय रोजे को खोला जाता है. 

इसके साथ ही रोजेदारों को रोजाना पांच वक्त के लिए नमाज अदा करना अनिवार्य है. रमजान के पवित्र महीने में गरीबों व जरूरतमंदों की मदद की जाती है. रमजान के आखिरी दिन चांद का दीदार होने के बाद ईद-उल-फितर का पर्व मनाया जाता है. 

रमजान के 30 दिन के रोजों को 3 अशरों में बांटा गया है. इसके पहले 10 दिन रहमत, दूसरे 10 दिन बरकत और आखिर के 10 दिन मगफिरत के कहे जाते हैं.

रमजान के महीने में मुस्लिम लोग रोजा रखकर पूरे दिन अल्लाह की इबादत करते हैं. इस्लाम धर्म के लोगों के लिए रमजान महीने की खास अहमित होती है. रमजान में सभी मुस्लिम लोगों को रोजा रखना अनिवार्य माना जाता है. 

हालांकि, बच्चों और शारीरिक रूप से अस्वस्थ लोगों को रोजा रखने के लिए छूट दी गई है. इस पाक महीने में जकात यानी दान देना जरूरी माना जाता है. जकात में व्यक्ति को अपनी साल भर की कमाई का ढाई फीसदी हिस्सा जरूरतमंदों को दान करना होता है. 

मुस्लिम लोग इस पूरे महीने मस्जिदों में तरावीह पढ़ते हैं और कुरआन की तिलावत करते हैं. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, रमजान के पाक महीने में ही इस्लाम की सबसे पवित्र किताब ‘कुरआन’ नाजिल यानी उतारी गई थी.

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और ज्योतिष गणनाओं पर आधारित है. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)