Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मन को प्रभु-प्रेम से आप्लावित कर दो। मन मर जायेगा, जीवन तर जायेगा। वासना को चाहे जितने भोग प्रदान करो, वह तो कभी भी तृप्त नहीं होती। भोगों को हम ज्यों-ज्यों भोगते जाते हैं, त्यों-त्यों वासना भी बढ़ती जाती है। अग्नि में आहुति देने पर जिस प्रकार अग्नि शान्त नहीं होती, उसी प्रकार भोगों का उपभोग करने से वासना भी शांत नहीं होती। विवेक और संयम से वासना शान्त होती है।
जब तक अग्नि में लकड़ियां डाली जाती है, तब तक वह जलती रहती है। लकड़ियों के समाप्त हो जाने पर अग्नि अपने-आप शांत हो जाती है। उसी प्रकार वासना को भोग प्रदान करते रहने से वह भड़कती रहती है, किन्तु भोग देना बन्द करते ही उसका शमन हो जाता है। अतः आज से ही वासना को भोग प्रदान करना बंद करके, विवेक एवं संयम से उसको शान्त करने का संकल्प लो। जब तक जीवन से वासना और विरोध समाप्त नहीं होगा तब तक प्रभु प्राप्ति कठिन है।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर(राजस्थान).