Why Bjp Change Government In Haryana: आज जो हरियाणा में हुआ वह बहुत ज्यादा आश्चर्यचकित करने वाला है. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की पीएम मोदी द्वारा की गई तारीफ बताई जा रही है. पीएम मोदी के हरियाणा गए 24 घंटे भी नहीं हुए कि पूरी सरकार ही बदल गई. यहां के राजनीतिक हालात जिस तेजी से बदले, उसकी किसी को भनक भी नहीं लग पाई.
हरियाणा की सियासत के लिए आज का दिन ऐतिहासिक रहा. क्योंकि, बीजेपी ने उस वक्त जेजेपी का साथ छोड़ा जब उसे सबसे अधिक जरुरत है. चंडीगढ़ में बीजेपी की 11 बजे मीटिंग हुई. उसके बाद पार्टी के सभी मंत्री और मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया. ऐसी जानकारी सामने आती रही है कि चेहरा वही होगा और सरकार नई होगी, लेकिन यह बात इसलिए सिरे नहीं चढ़ रही थी क्योंकि दिल्ली से दो पर्यवेक्षक सुबह चंडीगढ़ के लिए रवाना हो चुके थे. आखिर में पूरी सरकार ही बदल गई और दो बजते-बजते हरियाणा को नए मुख्यमंत्री के तौर पर नायब सैनी का नाम तय हो गया. अब सवाल ये उठता है कि जब लोकसभा चुनाव नजदीक हो, जब छोटी-छोटी राजनीतिक दलों के साथ की सबसे अधिक जरुरत हो, तब बीजेपी ने इतना बड़ा दांप क्यों खेला. आइए समझते हैं क्या है पूरा राजनीतिक गणित…
यहां से शुरू हुआ विवाद
दरअसल, बीजेपी और जेजेपी के बीच गठबंधन तोड़ने की पीछे की कई वजह सामने आ रही है. मीडिया सूत्रों की मानें तो जेजेपी हरियाणा में बीजेपी के साथ सरकार बनाने के बाद लगातार अपने संगठन का विस्तार कर रही थी. बीते कुछ महीनों से जेजेपी ने अपनी गतिविधियों को और तेज कर दिया था. इन सबको लेकर बीजेपी असहज थी. वहीं, सूत्र यह भी बता रहे हैं कि बीजेपी और जेजेपी के गठबंधन में फूट सीट शेयरिंग को लेकर हुआ है.
बीजेपी ने खेला दांव
बता दें कि लोकसभा चुनाव में अब गिने-चुने दिन बचे हैं. इंतजार है तो सिर्फ निर्वाचन आयोग द्वारा तारीखों की घोषणा की. ऐसे में देश की दो प्रमुख पार्टियां कांग्रेस और बीजेपी क्षेत्रीय पार्टियों को अपने साथ लेकर चलने में लगी हुए हैं. ताकि वो लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुतम से अपनी सरकार बना सके. लेकिन इन सबके बीच बीजेपी ने बड़ा दांव खेल दिया और जब उसे सबसे अधिक स्थानीय पार्टियों की जरुरत है. आज जेजेपी और बीजेपी की गठबंधन सरकार के आज कुल 4 साल 137 दिन पूरे हुए थे. माना जा रहा था कि यह सरकार पूरे पांच साल चलेगी लेकिन ऐसा नहीं हो सकता. पीएम मोदी के दौरे के अगले दिन ही बीजेपी ने जेजेपी से नाता तोड़ दिया और राज्य में नई सरकार बनाने के पेशकश कर दी.
यहां से शुरू हुआ मन मुटाव
अब सवाल यह है कि जेजेपी और बीजेपी के बीच ऐसा क्या हुआ कि गठबंधन में बिखराव हो गया. इसको लेकर मीडिया सूत्र बता रहे हैं कि जेजेपी ने बीजेपी राज्य में दो सीटों की मांग की थी. इसमें भिवानी और हिसार लोकसभा सीटें शामिल थीं. भाजपा ने शुरुआत में जेजेपी को इन सीटों के स्थान कुरुक्षेत्र और सिरसा की पेशकश की थी, लेकिन खुद हिसार से सांसद रहे चुके दुष्यंत चौटाला अड़े हुए थे. फिर क्या यहीं से दोनों पार्टियों में मनमुटाव होना शुरू हुआ. सूत्रों की मानें तो बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व का एक धड़ा जेजेपी को एक सीट देने पर सहमत था, लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल इसके खिलाफ थे. वे किसी कीमत पर हिसार और भिवानी की सीटें देने के पक्ष में नहीं थे. इससे जेजेपी का गुस्सा बढ़ा और सरकार छोड़ने की पहल उधर से हुई. फिर क्या इस मौके पर फायदा उठाने में बीजेपी ने देर नहीं की.
इस वजह से सीएम मनोहर लाल की गई कुर्सी
मीडिया सूत्रों की मानें तो दोनों दलों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर चली खींचतान में एक स्थिति ऐसी भी आई थी कि जब यह तय हुआ था कि 1 सीट जेजेपी को दे दी जाए. लेकिन सीएम मनोहर लाल इससे सहमत नहीं थे. हुआ ये कि इसके लिए उन्हें अपना मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा, लेकिन वे गठबंधन के लिए राजी नहीं हुए. अब हरियाणा के नए सीएम नायब सिंह सैनी हो गए हैं. माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर अब केंद्र की राजनीति में दिख सकते हैं. ऐसी चर्चा है कि या तो वे करनाल से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे या फिर संगठन में बड़ी जिम्मेदारी संभाल सकते हैं. बता कि मनोहर लाल 9 साल 137 दिन तक हरियाणा के सीएम रहे. वहीं, बचे हुए कार्यकाल को नायब सैनी को सौंपने में भी सफल रहें.