20 मार्च 2024 को केंद्र सरकार ने फैक्ट चेक यूनिट (FCU) बनाने की नोटिफिकेशन जारी की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी. यह रोक तब तक के लिए लगाई है, जब तक बॉम्बे हाईकोर्ट इस मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई ना कर ले. कोर्ट ने कहा है कि यह अभिव्यक्ति की आजादी का मामला है.
इससे पहले, केंद्र सरकार ने 20 मार्च को पत्र सूचना कार्यालय के अंतर्गत फैक्ट चेक यूनिटबनाने की अधिसूचना जारी की थी. जिसके सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के फैक्ट चेक यूनिट के तौर पर काम करने की बात कही गई थी. FCU के सोशल मीडिया में सरकार और सरकारी संस्थानों के खिलाफ फेक न्यूज को हाईलाइट करने की बात कही गई थी. ऐसा वो अपनी मर्जी या किसी की शिकायत के आधार पर कर सकती थी.
FCU नोटिफिकेश में क्या था?
20 मार्च की अधिसूचना में कहा गया था कि फैक्ट चेक यूनिट सरकार की तरफ से फैक्ट चेक करने का काम करेगी. जिसमें वो फेसबुक, X या इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स में किसी जानकारी को फेक या गलत बता सकती है. जिसके बाद ये प्लेटफॉर्म्स उस कॉटेंट या पोस्ट को हटाने के लिए कानूनी रूप से बाध्य होंगे. साथ ही इंटरनेट से उसका URL भी ब्लॉक करना होगा. ये फैक्ट चेक यूनिट सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2021 में संशोधन के बाद लाई गई थी.
क्यों हो रहा विरोध?
IT नियमों में संशोधन के खिलाफ कॉमेडियन कुणाल कामरा, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन और एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया था कि ये नियम असंवैधानिक हैं और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने ये भी कहा था कि फेक न्यूज तय करने की शक्तियां पूरी तरह से सरकार के हाथ में होना प्रेस की आजादी के विरोध में है.
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