Sheetala Ashtami 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शीतला अष्टमी पड़ता है. इसे बसौड़ा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन स्वच्छता और आरोग्यता की देवी मां शीतला की पूजा और व्रत करने का विधान है. मान्यता है कि शीतला अष्टमी के अवसर पर विधि विधान से पूजा और व्रत करने से लोगों को कई बीमारियों से मुक्ति मिलती है. दीर्घ आयु का वरदान मिलता है. शीतला अष्टमी व्रत की शुरुआत सप्तमी तिथि से ही हो जाती है. ऐसे में आइए जानते हैं शीतला अष्टमी कब है और इसका शुभ मुहूर्त और महत्व क्या है?
शीतला अष्टमी का शुभ मुहूर्त
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 01 अप्रैल को रात 09:09 बजे से शुरू होगी और 02 अप्रैल को रात 08 बजकर 08 मिनट तक यह तिथि रहेगी. ऐसे में उदयातिथि के मुताबिक, शीतला अष्टमी 02 अप्रैल को मनाई जाएगी.
हिंदू पंचांग के अनुसार, शीतला अष्टमी पर्व होली से ठीक आठ दिन बाद आता है. इसमें मां शीतला की उपासना की जाती है. शीतला अष्टमी पर शीतला माता को बासी ठंडे खाने का भोग लगाया जाता हैं, जिसे बसौड़ा कहते है. इस दिन बासी खाना प्रसाद के रूप में खाया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन से खाना बासी होने लगता है. कई लोग शीतला सप्तमी तो कई लोगों के अष्टमी मनाते हैं. कुछ लोग होली के बाद पड़ने वाले सोमवार को भी शीतला माता का पूजन कर लेते हैं.
शीतला अष्टमी पूजा विधि
- शीतला अष्टमी के दिन सवेरे जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि ने निवृत होकर व्रत का संकल्प लें.
- एक दिन पहले बनाए गए पकवान जैसे मीठे चावल, रोटी आदि को थाली में रख लें.
- पूजा के लिए एक थाली में आटे के दीपक, रोली, अक्षत, वस्त्र, हल्दी, बड़कुले की माला, मेहंदी, सिक्के आदि लें. इसके बाद मां शीतला की पूजा करें.
- शीतला माता को दीपक जलाएं और उन्हें जल चढ़ाएं. वहां से थोड़ा जल घर के लिए भी लाएं और घर में छिड़क दें.
- माता शीतला को सभी चीजें अर्पित करें, फिर परिवार के सदस्यों को रोली या हल्दी का तिलक जरूर लगाएं.
- अगर पूजन सामग्री बच गई हो तो गौ माता को अर्पित कर दें. इससे आपके जीवन में खुशहाली बनी रहेगी.
महत्व
शीतला अष्टमी को लेकर मान्यता है कि मां शीतला की आराधना करने से बच्चों को दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती हैं. माता शीतला की आराधना से साधक को बीमारियों से मुक्ति मिलती है. इस दिन शीतला माता को बासी भोजन का भोग चढ़ाने की परंपरा है. इस दिन ताजा भोजन नहीं पकाया जाता है. एक दिन पहले ही मीठे चावल, राबड़ी, पुए, रोटी, हलवा आदि पकवान बनाए जाते हैं. इस चीजों का भोग अगले दिन यानी शीतला अष्टमी के दिन मां को लगाया जाता है.
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