क्रिकेट का शौक रखने वाला Mukhtar Ansari कैसे बना जुर्म और राजनीति की दुनिया का माहिर खिलाड़ी? जानें पूरी कहानी

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Mukhtar Ansari: बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी का गुरुवार शाम कार्डियक अरेस्ट से निधन हो गया. जेल में तबीयत बिगड़ने के बाद गंभीर हालत में उन्हें दुर्गावती मेडिकल कॉलेज लाया गया था. जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के परिवार के बारे में जानकर लोग इस बात पर यकीन नहीं करते कि मुख्तार जैसा माफिया क्या वाकई एक प्रतिष्ठित परिवार से संबंध रखता था.

कौन था मुख्तार अंसारी

मुख्तार अंसारी का जन्म गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में 3 जून 1963 को हुआ था. उसके पिता का नाम सुबहानउल्लाह अंसारी और मां का नाम बेगम राबिया था. गाजीपुर में मुख्तार अंसारी के परिवार की पहचान एक प्रतिष्ठित राजनीतिक खानदान की है. 17 साल से ज्यादा वक्त से जेल में बंद मुख़्तार अंसारी के दादा डॉक्टर मुख़्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे. गांधी जी के साथ काम करते हुए वो 1926-27 में कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे. मुख्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को 1947 की लड़ाई में शहादत के लिए महावीर चक्र दिया गया था. मुख्तार के पिता सुभानउल्ला अंसारी गाजीपुर में अपनी साफ सुधरी छवि के साथ राजनीति में सक्रिय रहे.
भारत के पूर्व उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी रिश्ते में मुख़्तार अंसारी के चाचा हैं. वहीं, मुख्तार अंसारी की कहानी विरोधाभासों से भरी पड़ी है. बताते हैं कि मुख्तार क्रिकेट खेलने का शौकीन था. लेकिन, कॉलेज के जमाने में ही वह साधु सिंह के गैंग में शामिल हो गया. इसके बाद जुर्म की दुनिया में उसने ऐसे कदम बढ़ाए कि फिर लौटना मुश्किल हो गया.

कभी मुख्तार के नाम से कांपता था सूबा 

प्रतिष्ठित परिवार से आने वाला मुख्तार आखिर इतना बड़ा माफिया कैसे बन गया? इसकी कहानी काफी दिलचस्प है. रौबदार मूंछों वाला मुख्तार जीवन के आखिरी पड़ाव पर भले ही व्हील चेयर पर बैठा दिखता रहा हो, लेकिन उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आने के पहले मऊ और उसके आसपास के इलाके में मुख्तार अंसारी की तूती बोलती रही. अब अंसारी की ठिकानों को जमींदोज किया जा रहा है, लेकिन कभी एक वक्त था, जब पूरा सूबा मुख्तार से कांपता था.

1996 में मुख्तार पहली बार बना था विधायक 

वह बीजेपी को छोड़कर यूपी की हर बड़ी पार्टी में शामिल रहा. यही वजह रही कि वह 24 साल से लगातार यूपी की विधानसभा पहुंचता रहा. साल 1996 में BSP के टिकट पर जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचने वाले मुख्तार अंसारी ने साल 2002, 2007, 2012 और फिर 2017 में भी मऊ से जीत हासिल की. इनमें से आखिरी 3 चुनाव उसने देश की अलग-अलग जेलों में बंद रहते हुए लड़े और जीते. राजनीति की ढाल ने मुख्तार को जुर्म की दुनिया का सबसे खरा चेहरा बना दिया था और हर संगठित अपराध में उसकी जड़ें गहरी होती चली गईं.

साल 2002 के बाद बदल गई मुख्तार की जिंदगी 

सियासी अदावत से ही मुख्तार का नाम बड़ा हुआ. साल 2002 ने मुख्तार की जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दी. इसी साल बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय ने अंसारी परिवार के पास साल 1985 से रही गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट छीन ली थी. यह बात मुख्तार अंसारी को नागवार गुजरी. इसके बाद कृष्णानंद राय विधायक के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके और तीन साल बाद यानी साल 2005 में उनकी हत्या कर दी गई.

कृष्णानंद राय पर AK-47 से चलाईं गई 500 गोलियां 

कृष्णानंद राय एक कार्यक्रम का उद्घाटन करके लौट रहे थे. तभी उनकी गाड़ी को चारों तरफ से घेर कर अंधाधुंध फायरिंग की गई. हमले के लिए ऐसी जगह को चुना गया था, जहां से गाड़ी को दाएं-बाएं मोड़ने का कोई रास्ता नहीं था. हमलावरों ने AK-47 से करीब 500 गोलियां दागी थीं. इस हमले में कृष्णानंद राय समेत गाड़ी में मौजूद सभी सातों लोग मारे गए थे.

इस हत्याकांड में मुख्तार का नाम सामने आया था. बाद में इस केस की जांच यूपी पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंप दी गई थी. कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केस 2013 में गाजीपुर से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया. मगर, गवाहों के मुकर जाने से ये मामला नतीजे पर न पहुंच सका.

कोर्ट ने कहा था कि नतीजा कुछ और होता अगर… 

दिल्ली की स्पेशल अदालत ने इस केस में साल 2019 में फैसला सुनाते कहा था कि अगर गवाहों को ट्रायल के दौरान विटनेस प्रोटेक्शन स्कीम 2018 का लाभ मिलता, तो नतीजा कुछ और हो सकता था. गवाहों के मुकर जाने की वजह से मुख्तार अंसारी जेल से छूट गया. हालांकि, मुख्तार अंसारी भले ही जेल में रहा, लेकिन उसका गैंग हमेशा सक्रिय रहा.

योगी सरकार के आने के बाद शुरू हुए बुरे दिन 

योगी सरकार आने के बाद मुख्तार अंसारी के बुरे दिन शुरू हो गए. उस पर उत्तर प्रदेश में 52 केस दर्ज हैं. यूपी सरकार की कोशिश 15 केस में मुख्तार को जल्द सजा दिलाने की थी. योगी सरकार अब तक अंसारी और उसके गैंग की 192 करोड़ रुपये से ज्यादा संपत्तियों को या तो ध्वस्त कर चुकी है या फिर जब्त कर चुकी है. मुख्तार गैंग की अवैध और बेनामी संपत्तियों की लगातार पहचान की जा रही है. मुख्तार गैंग के अब तक 96 अभियुक्त गिरफ्तार किए जा चुके हैं. इनमें से मुख्तार के 75 गुर्गों पर गैंगेस्टर एक्ट में कार्रवाई की जा चुकी है.

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