Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ।।श्रीमद्भागवतमहापुराण कथा में वामन अवतार।। प्रत्येक में प्रभु-दर्शन स्थावर- जंगम प्रत्येक पदार्थ में या चलते-फिरते प्रत्येक स्त्री-पुरुष में प्रभु के दर्शन करने की आदत डालो. यदि यह आदत पड़ गई तो जगत में तुम्हारा कोई शत्रु नहीं रहेगा और संसार की किसी वस्तु का तुम्हें लोभ नहीं होगा. गोस्वामी श्रीतुलसीदासजी ने भी श्री रामचरितमानस में इसी भावना को बड़ी सुंदरता से व्यक्त किया है- सियाराम मय सब जग जानी. करहुँ प्रणाम जोर-जुग पानी।।
यदि सभी में परमात्मा निवास करते हैं तो बैर किसके साथ किया जाये और किस लिए किया जाए. और किसी का डर भी क्यों हो? संसार के जीवमात्र में जगदीश्वर को देखने की भावना जीवन में शांति प्रदान करती है. जिसकी मति सुवर्ण में होती है, वह रावण है. सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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