गंगा में विसर्जित अस्थियां आखिर जाती कहां हैं? जानिए

पतितपावनी गंगा को देव नदी कहा जाता है क्योंकि शास्त्रों के अनुसार गंगा स्वर्ग से धरती पर आई है.

मान्यता है कि गंगा श्री हरि विष्णु के चरणों से निकली है और भगवान शिव की जटाओं में आकर बसी हैं.

श्री हरि और भगवान शिव से घनिष्ठ संबंध होने के चलते गंगा को पतित पाविनी कहा जाता है.

मान्यता है कि गंगा में स्नान करने से मनुष्य के सभी पापों का नाश हो जाता है.

एक दिन देवी गंगा श्री हरि से मिलने बैकुण्ठ धाम गई और उन्हें जाकर बोली, प्रभु ! मेरे जल में स्नान करने से सभी के पाप नष्ट हो जाते हैं.

लेकिन मैं इतने पापों का बोझ कैसे उठाऊंगी? मेरे में जो पाप समाएंगे उन्हें कैसे समाप्त करूंगी.

इस पर श्री हरि बोले,"गंगा! जब साधु, संत, वैष्णव आ कर आप में स्नान करेंगे तो आप के सभी पाप घुल जाएंगे.

गंगा नदी इतनी पवित्र है की प्रत्येक हिंदू की अंतिम इच्छा होती है उसकी अस्थियों का विसर्जन गंगा में ही किया जाए.

हिंदू धर्म को मानने वाले लगभग सभी लोग दाह संस्कार के बाद मृतक के अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करते हैं. 

लेकिन सवाल यह है कि गंगा में प्रवाहित होने के बाद अस्थियां जाती कहां हैं? आइए जानते हैं इसका जवाब...

मान्यता है कि ये अस्थियां गंगा में प्रवाहित करने से सीधे श्रीहरि के चरणों में बैकुण्ठ धाम जाती हैं.

मान्यता यह भी है कि जिस व्यक्ति की मृत्यु गंगा के पास होती है, उसे मुक्ति मिल जाती है.

धर्म के अलावा अगर बात करें विज्ञान की तो  गंगा के जल में पारा घुला होता है. इस वजह से हड्डियों में शामिल कैल्शियम और फास्फोरस पानी में घुल जाता है, जो जलीय जीवों के लिए पौष्टिक आहार का काम करता है.