किस देवी की पूजा से क्या मिलता है वरदान? जानिए रहस्य
सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है. प्रत्येक वर्ष चार बार नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है. नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है.
इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 03 अक्टूबर से हो रही है. वहीं इसका समापन 12 अक्टूबर को होगा. मां दुर्गा के जिन नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है, उन सभी का अलग-अलग महत्व है.
ऐसे में आइए जानते हैं कि मां दुर्गा के नौ रूपों का क्या रहस्य है और किस देवी की पूजा से क्या वरदान प्राप्त होता है…
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. मां शैलपुत्री की पूजा करने से चंद्रमा से संबंधित सभी दोषों से मुक्ति मिलती है.
मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी का है. इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की बढ़ोत्तरी होती है. इसके साथ ही कुंडली में मंगल ग्रह से जुड़े सारे दोष दूर होते है.
मां दुर्गा का तीसरे स्वरूप मां चंद्रघण्टा का है. इनकी उपासना से रोगों से मुक्ति का वरदान प्राप्त होता है. मां चंद्रघण्टा ऊर्जा बढ़ाती हैं.
नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्माण्डा की पूजा की जाती है. अपनी लौकिक, परलौकिक उन्नति चाहने वालों को कूष्माण्डा मां की अराधना अवश्य करनी चाहिए.
मां दुर्गा का पांचवा स्वरूप स्कंदमाता का है. स्कन्दमाता अपने भक्तों की सारी इच्छाओं की पूर्ति करती हैं. इन्हें मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता के रूप में भी जाना जाता है.
नवरात्रि की षष्ठी तिथि देवी कात्यायनी का है. यह स्वरूप नारी जाति को प्रेरणा देता है कि वह अपनी दया, तपस्या, संयम और त्याग जैसे गुणों के साथ वीरांगना भी है.
नवरात्रि के सातावां दिन देवी कालरात्रि को समर्पित है. मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश और ग्रह बाधाओं को दूर करने वाली मानी जाती है.
नवरात्रि के आंठवें दिन माता महागौरी की पूजा का विधान है. इनकी अराधना करने से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं.
मां जगदंबे क नौवां स्वरूप सिद्धिदात्री हैं. इनकी अराधना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और ज्योतिष गणनाओं पर आधारित है. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)