Eid-ul-Fitr 2024: ईद के दिन क्यों बनाई जाती है सेवई, जानिए क्या है इसके पीछे की परंपरा?

Abhinav Tripathi
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Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Eid-ul-Fitr 2024: इस्लाम धर्म में रमजान के महीने के सबसे पाक (पवित्र) महीना माना जाता है. रमजान का महीना अब समाप्त होने को है. दुनिया भर में कुछ देशों में ईद-उल-फितर 10 अप्रैल दिन बुधवार और कुछ देशों में 11 अप्रैल दिन गुरुवार को मनाई जाएगी. इसको लेकर मुस्लिम समाज के लोग अभी से तैयारियों में लग गए हैं. ईद की एक खास बात है कि इस दिन सेवई बनाने और खाने का विशेष महत्व है. सेवई के बिना ईद का त्योहार अधूरा माना जाता है. आइए आज आपको इस ऑर्टिकल में बताते हैं कि ईद के दिन सेवई खाने की परंपरा कहां से शुरू हुई..?

ईद का है विशेष महत्व

इस्लाम धर्म में ईद उल फितर सबसे महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है. ईद उल फितर रमजान के अंत का प्रतीक है. इस खास त्योहार पर सेवई बनाने और खाने का काफी महत्व है. दरअसल, सेवई एक प्रकार का मीठा पकवान है. जिसको दूध की मदद से बनाया जाता है. इस्लाम धर्म में सेवई का खास महत्व है. ईद पर बनने वाली सेवई को लोग घरों, परिवारों, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ बांटते हैं. बताया जाता है कि परंपरा ईद उल फितर से ही शुरू हुई थी. सेवई को मुस्लिम में शीर खोरमा कहा जाता है.

आपको बता दें कि फारसी भाषा में शीर का मतलब दूध होता और खुरमा का मतलब खजूर से होता है. सेवई एक ऐसी रेसिपी है, जो देश के हर मुस्लिम घर में ईद-उल-फितर के दिन तैयार की जाती है. ईद के दिन लोग सेवई खाते हैं और एक दूसरे से गले मिलकर बधाई देते हैं.

कैसे शुरू हुई ईद पर सेवई खाने की परंपरा

उल्लेखनीय है कि इस्लाम धर्म में सेवई को लेकर कई मान्यताएं हैं. परंपरा के अनुसार जंग-ए बदर में मुसलमानों ने पहली जीत हासिल की थी. ये जंग 2 हिजरी 17 रमजान के दिन हुई थी. ये इस्लाम धर्म की पहली जंग थी. कहा जाता है कि इस जंग में एक ओर 313 निहत्थे मुसलमान थे, तो दूसरी तरफ तलवारों और हथियारों से लैस 1000 से ज्यादा दुश्मन की फौज थी. इस जंग में पैगंबर हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की अगुआई में मुसलमान काफी बहादुरी से लड़े और जीत हासिल की थी.

इस्लाम धर्म में ईद मनाने के पीछे दो बड़ी वजह बताई जाती है. पहली यह कि जंग-ए बदर में मुसलमानों ने पहली जीत हासिल की थी. यह जंग 2 हिजरी 17 रमजान के दिन हुई थी. यह इस्लाम की पहली जंग थी. इस लड़ाई में 313 निहत्थे मुसलमान थे, वहीं दूसरी तरफ तलवारों और हथियारों से लैस दुश्मन फौजों की संख्या 1000 से ज्यादा थी. इस जंग में पैगंबर हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की अगुवाई में मुसलमान बहुत ही बहादुरी से लड़े थे और जीत हासिल की थी. इसी जीत की खुशी में सेवई से बनी मिठाई बांटी गई और एक दूसरे को मिलकर मुबारकबाद दी गई. इसी दिन से ईद के दिन सेवई खाने की परंपरा की शुरुआत की गई.

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