Eid-ul-Fitr 2024 Date: आज देशभर में ईद की धूम है. ईद-उल-फितर जिसे की मीठी ईद भी कहते हैं, यह मुस्लिम समुदाय के सबसे बड़े त्योहारों मे से एक है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, रमजान के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद का त्योहार मनाया जाता है. इस्लाम समुदाय के लोग माह ए रमजान में रोजा रखते हैं. पूरे एक महीने रोजा रखने के बाद उन्हें ईद का चांद दिखता है. चांद के दीदार के बाद ईद की शुरुआत होती है. बता दें कि पहले अरब देशों में ईद का चांद देखा जाता है. अरब देशों में ईद मनाने के एक दिन बाद भारत में ईद मनाई जाती है.
ईद उल फितर का महत्व
इस पवित्र पर्व को भाईचारे का पर्व माना जाता है. इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिद में सामूहिक रूप से नमाज अदा करते हैं. फिर सभी एक-दूसरे को गले लगाकर ईद की मुबारकबाद देते हैं. वहीं ईद के मौके पर हर मुस्लिम घर में तमाम तरह के पकवान बनाए जाते हैं, जिसमें मीठी सेवई जरूरी है. इस दिन नए कपड़े पहनने की भी परंपरा है. ईद के दिन अपने से छोटे लोगों को ईदी देने की भी परंपरा है.
जानिए क्यों मनाई जाती है ईद
इस्लाम धर्म के मान्यता के अनुसार, पैगंबर हजरत मुहम्मद ने बद्र की लड़ाई में जीत हासिल की थी. इस जीत के जश्न में उन्होंने सबका मुंह मीठा करवाया गया था. कहा जाता कि इसी दिन को ईद उल फितर या मीठी ईद के रूप में मनाया जाता है. इसके अलावा ये भी माना जाता है कि रमजान महीने के अंत में ही पहली बार कुरान आई थी. मक्का से मोहम्मद पैगंबर के प्रवास के बाद पवित्र शहर मदीना में ईद उल फितर का त्योहार शुरू हुआ.
रमजान में रोजे क्यों रखे जाते हैं
इस्लाम धर्म के मान्यताओं के अनुसार, रमजान महीने में रोजा रखने से अल्लाह प्रसन्न होते हैं और सभी दुआएं कुबूल होती हैं. रोजे के दौरान पूरे दिन बिना अन्न और पानी के रहना होता है. साथ ही रोजे के दौरान बुरा देखना, सुनना और बोलने से बचना चाहिए. सूरज ढलने के बाद शाम के समय में ही इफ्तार के दौरान रोजा खोला जाता है और फिर सहरी खा कर रोजा रखा जाता है. बता दें कि सूर्य निकलने से पहले खाए गए खाने को सहरी कहा जाता है.
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