ईवीएम से वोटों की गिनती कैसे होती है, जानिए चुनावी नतीजे का प्रोसेस
भारत में 1998 से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का इस्तेमाल चुनावों में हो रहा है. ईवीएम ने मतदान प्रक्रिया को ज़्यादा पारदर्शी, कुशल और विश्वसनीय बना दिया है.
मतदान के बाद ईवीएम को सील कर दिया जाता है. इसके बाद मतदान केंद्र से सुरक्षित स्थान यानी स्ट्रांग रुम में ले जाया जाता है.
जिले में सभी ईवीएम को पहले से बनाए गए निर्धारित स्थान पर इकट्ठा किया जाता है, जिसे 'मतगणना केंद्र' कहा जाता है.
मतगणना केंद्र पर ऐसे होती है ईवीएम की गिनती
मतगणना केंद्र पर चुनाव अधिकारी गिनती के लिए ईवीएम को सील खोलते हैं. वह 'कंट्रोल यूनिट' और 'बैलट यूनिट' में अलग करते हैं.
इसके बाद मतगणना केंद्र पर 'कंट्रोल यूनिट' को एक 'रीडिंग मशीन' से जोड़ा जाता है.
'रीडिंग मशीन' ईवीएम में डाले गए वोटों की संख्या को पढ़ती है और उसे एक 'मतगणना शीट' पर रिकॉर्ड करती है.
'मतगणना शीट' पर रिकॉर्ड किए गए वोटों की संख्या को विभिन्न उम्मीदवारों को मिले वोटों की संख्या के साथ मिलान किया जाता है.
ये मिलान 'वोटिंग ऑफिसर' और 'पार्टी एजेंट' की उपस्थिति में किया जाता है.
वोटों की गिनती पूरी होने के बाद, 'मतगणना अधिकारी' परिणामों की घोषणा करते हैं.
जानिए क्या है वीवीपैट का उपयोग
साल 2010 से भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से 'वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल' यानी वीवीपैट का उपयोग किया जा रहा है.
वीवीपैट एक स्वतंत्र इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जो मतदाता द्वारा डाले गए वोट की एक पर्ची को प्रिंट करता है और उसे एक सुरक्षित बॉक्स में रखता है.
वीवीपैट का उपयोग ईवीएम में डाले गए वोटों के रिकॉर्ड को सत्यापित करने के लिए किया जाता है.
ईवीएम काउंटिंग को सटीक माना जाता है क्योंकि:
ईवीएम इलेक्ट्रॉनिक उपकरण हैं जो मानवीय त्रुटि की संभावना को कम करते हैं. वीवीपैट का उपयोग ईवीएम में डाले गए वोटों के रिकॉर्ड को सत्यापित करने के लिए किया जाता है.
मतगणना प्रक्रिया 'मतगणना अधिकारी', 'पार्टी एजेंट' और अन्य अधिकारियों की देखरेख में होती है.
ईवीएम ने भारत में चुनावों को ज़्यादा पारदर्शी, कुशल और विश्वसनीय बना दिया है. ईवीएम काउंटिंग एक सटीक प्रक्रिया है जो चुनावी नतीजों को सही ढंग से दर्शाती है.