Shivling Tripund: हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के समय तिलक धारण करने का विशेष महत्व होता है. सभी देवी देवताओं की पूजा अर्चना के साथ ही उनके तिलक की रचना अलग-अलग होती है. आपने अक्सर देखा होगा कि भगवान शिव के भक्त, साधू-संत या पूजारी ललाट पर तीन रेखाओं का तिलक लगाते हैं, उसे त्रिपुंड कहते हैं. देवाधिदेव महादेव की पूजा में उन्हें भी चंदन या भस्म का त्रिपुंड जरूर लगाया जाता है. लेकिन क्या आप त्रिपुंड की इन तीर रेखाओं का मतलब जानते हैं? आज हम आपको त्रिपुंड का मतलब, लगाने का सही तरीका और लाभ बताएंगे.
त्रिपुंड की रेखाओं में समाहित देवी-देवता
माथे पर तीन रेखाओं वाले तिलक को त्रिपुंड कहते हैं. धार्मिक मान्यता है कि त्रिपुंड लगाने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, त्रिपुंड में कुल 27 देवी-देवता वास करते हैं. त्रिपुंड की हर एक रेखा में 9 देवताओं का वास होता है. पहली रेखा में महादेव, ऋग्वेद, धर्म, पृथ्वी, गार्हपत्य, रजोगुण, आकार, प्रातः कालीन हवन और क्रियाशक्ति देव होते हैं.
वहीं त्रिपुंड की दूसरी रेखा में अंतरात्मा, दक्षिणाग्नि, इच्छाशक्ति, सत्वगुण, महेश्वर, ऊंकार, आकाश और मध्याह्न हवन देवता विराजमान होते हैं. तीसरी रेखा में शिव, सामवेद, तृतीय हवन स्वर्ग लोक, ज्ञानशक्ति, आहवनीय अग्नि, तमोगुण और परमात्मा का वास होता हैं.
शिवलिंग पर त्रिपुंड लगाने का तरीका
शिवपुराण के अनुसार, शिवलिंग यानी भगवान भोलेनाथ को त्रिपुंड विशेष रूप से चंदन, लाल चंदन, भस्म या अष्टगंध से लगाना चाहिए. त्रिपुंड लगाने के लिए सबसे पहले दाएं हाथ की बीच की उंगली मध्यमा यानी अनामिका से ऊपर की दो रेखाएं बनाना चाहिए. उसके बाद तर्जनी उंगली से नीचे वाली रेखा बनाएं. त्रिपुंड लगाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि इसे बाएं नेत्र से दाएं नेत्र की ओर ही लगाएं.
त्रिपुंड लगाने के लाभ
धार्मिक मान्यता है कि माथे पर त्रिपुंड लगाने से व्यक्ति को उसमें समाहित समस्त 27 देवताओं का आशीर्वाद मिलता है. यही नहीं ज्योतिष शास्त्र की मानें तो इसे लगाने से मन में बुरे विचार उत्पन्न नहीं होते. मानसिक शांति मिलती है तथा व्यवहार में सौम्यता आती है. प्रतिदिन त्रिपुंड लगाने से व्यक्ति द्वारा किए गए जाने-अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिलती है.
शिव पुराण में वर्णित है कि जो लोग इसे शिव जी के प्रसाद के रूप में अपनी माथे पर धारण करते हैं, उस पर बुरी शक्तियों का प्रभाव नहीं हो पाता. त्रिपुंड को लगाने से शरीर के साथ-साथ जीवन में भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है और व्यक्ति धर्म के प्रति अधिक आकर्षित होने लगता है.
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