Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, एक व्यक्ति किसी संत के पास गये,और बोले महाराज मुझे ऐसा मंत्र दीजिए, जिसके बल पर कोर्ट में मेरी जीत हो। संत ने पूछा, कौन सा केस है? वे बोले अपने भाई के विरुद्ध मैंने दावा किया है। संत को आश्चर्य हुआ। वे सज्जन रोज रामायण का पाठ करते थे, फिर भी राम भरत के बंधु प्रेम का बिंदु मात्र भी उनके हृदय में प्रवेश नहीं हुआ।
संत जी ने कहा – रोज रामायण की कथा सुनते हो, फिर भी राम- भरत का भाई-प्रेम तुम्हारे हृदय में जागृत नहीं होता? लज्जा से उनका सिर झुक गया। हम सभी रामराज्य की अभिलाषा करते हैं, किंतु जब तक बड़ा भाई राम जैसा और छोटा भाई भरत जैसा नहीं बनता, तब तक राम राज्य आ नहीं सकता।
आजकल तो रामराज्य के बदले सर्वत्र कामनाओं का साम्राज्य व्याप्त है। जब तक मनुष्य की छाती पर कामना और स्वार्थ चढ़कर बैठे हुए हैं, तब तक रामराज्य की संभावना नहीं है। चाय नहीं मिलने पर जिसका सिर दर्द करता है, वह वेदांत क्या समझेगा?
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर( राजस्थान).