वैवाहिक जीवन का रक्षा कवच है मंगलसूत्र, जानिए इससे जुड़ी रोचक बातें

विवाहित महिलाओं के 16 श्रृंगार में मंगलसूत्र का विशेष महत्व है. इसे सुहाग की अहम निशानी मानी जाती है.

मंगलसूत्र का अर्थ होता है 'पवित्र हार'. जिसे विवाहिताएं अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाए रखने के लिए पहनती हैं. आइए आपको बताते हैं मंगलसूत्र से जुड़ी कुछ रोचक बातें...

मंगलसूत्र की शुरुआत माता पर्वती और भगवान शंकर से हुई थी. इसे  वैवाहिक जीवन का रक्षा कवच कहा जाता है.

मंगलसूत्र में मौजूद 9 मनके पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि का प्रतीक माने जाते हैं. ये मां दुर्गा के नौ रूपों को भी दर्शाते हैं.

सनातन धर्म में सभी विवाहित महिलाएं मंगलसूत्र पहनती हैं. ये पति की दीर्घायु, जीवनरक्षा के लिए पहना जाता है. ये भी मान्यता है कि इसे पहनने से वैवाहिक जीवन पर बुरी नजर नहीं पड़ती है.

मंगलसूत्र पहनने से महिलाओं के कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत होता है. सोने का मंगलसूत्र पहनने से बृहस्पति और सूर्य भी मजबूत होते हैं.

मंगलसूत्र में काली मोतियां और सोने का पैंडेट जरूर होना चाहिए. इसके अलावा कभी भी मंगलसूत्र को छिपाकर नहीं पहनना चाहिए.

ग्रहण, सूतक, पातक, माहवारी के दौरान भी मंगलसूत्र कभी अशुद्ध नहीं होता है. सनातन धर्म में पति के जीवित रहते हुए मंगलसूत्र निकालने का कोई विधान नहीं है.

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और ज्योतिष गणनाओं पर आधारित है. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)