Voluntary Retirement Scheme (VRS): स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना ( Voluntary Retirement Scheme) यानी VRS, यह एक ऐसी स्कीम है जिसके तहत से एक कर्मचारी सेवानिवृत्ति की तारीख से पहले अपनी इच्छानुसार रिटायरमेंट ले सकता है. चाहें नौकरी प्राइवेट हो या सरकारी, दोनों सेक्टर के कर्मचारियों को ये सुविधा मिलती है. लेकिन इसकी भी अपनी एक प्रक्रिया और एलिजिबिलिटी होती है, जिसे VRS लेने के इच्छुक कर्मचारी को पूरा करना पड़ता है. विशेष परिस्थितियों में कंपनी स्वयं भी इस योजना को लागू करके कर्मचारी को समय से पूर्व सेवानिवृत्त कर सकती है. आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.
कौन ले सकता है VRS?
वीआरएस को गोल्डन हैंडशेक के नाम से भी जाना जाता है. इस योजना का लाभ लेने के लिए नियम भी निर्धारित किए गए हैं. जो कर्मचारी कंपनी में 10 साल से अधिक समय तक काम कर चुका है या उसकी आयु 40 या इससे अधिक हो, इस स्कीम का लाभ उठा सकता है. लेकिन निदेशक और नया कर्मचारी इस स्कीम का लाभ नहीं ले सकते हैं.
क्या हैं वीआरएस लेने के फायदे?
VRS लेने के क्या फायदे हैं, इसे आप नीचे प्वाइंट्स दिए गए प्वाइंट के जरिए समझ सकते हैं.
- कर्मचारी को कम उम्र में सेवानिवृत्ति लाभों का आनंद मिलता है.
- कर्मचारी को पीएफ और ग्रेच्युटी बकाया मिलता है.
- कर्मचारी को सुचारू रिटायरमेंट पाने के लिए कंपनी से काउंसलिंग और टैक्स कंसलटेशन मिलता है.
- कर्मचारी को टैक्स फ्री मुआवजा भी मिल सकता है.
क्या हैं VRS लेने का नियम
अगर कोई सरकारी कर्मचारी वीआरएस लेना चाहता है तो उसे नियुक्ति प्राधिकारी को प्रत्यक्ष रूप से तीन महीने पहले इसका नोटिस देना होगा. वीआरएस से रिटायर होने वाले कर्मचारी की जगह कोई दूसरी अपॉइंटमेंट नहीं की जाएगी. नोटिस के बाद कर्मचारी को ये क्लीयर करना होता है कि वे क्वालिफाइंग सर्विस को पूरा कर चुका है. इसके बाद वीआरएस ले सकता है.
उद्देश्य
वॉलेंट्री रिटायरमेंट स्कीम (VRS) का प्राथमिक उद्देश्य कर्मचारियों और कंपनियों दोनों को लाभ देना है. जिन कर्मचारियों ने लंबे समय तक कंपनी के साथ काम किया है, वे अपनी इच्छा से रिटायरमेंट लेकर इस योजना से लाभ उठा सकते हैं, ताकि वे सेवानिवृत्ति लाभों का आनंद ले सकें. साथ ही अपने दूसरे एवं अन्य हितों को पूरा कर पाएं.
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