जानिए कितने प्रकार की होती है जमानत, अंतरिम जमानत में क्या क्या नहीं कर पाएंगे केजरीवाल?

Abhinav Tripathi
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Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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What Is Interim Bail: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को 1 जून तक की अंतरिम जमानत दे दी है. आज देर शाम तक वो तिहाड़ जेल से बाहर आ जाएंगे. 02 जून को सीएम केजरीवाल को सरेंडर करना होगा. इन सब के बीच आज आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर जमानत कितने प्रकार की होती है. वहीं, अंतरिम जमानत के दौरान सीएम केजरीवाल क्या क्या नहीं कर पाएंगे…?

जानिए क्या होती है अंतरिम जमानत

दरअसल, अंतरिम जमातन एक प्रकार की रिहाई होती है जो छोटी अवधि के लिए होती है. ये जमानत कोर्ट उस वक्त देता है जब रेगुलर बेल की याचिका पर सुनवाई होती रहती है. ऐसा इसलिए क्योंकि रेगुलर बेल की सुनवाई के दौरान कोर्ट नियमित जमानत की एप्लीकेशन दायर करता है तो कोर्ट इस मामले में चार्जशीट या केस डायरी की मांग करता है जिससे आम जमानत पर फैसला लिया जा सके.

इस पूरी प्रक्रिया को करने के लिए काफी समय लगता है. जब तक पूरे दस्तावेज कोर्ट तक ना पहुंच जाए शख्स को हिरासत में रहना पड़ता है. इस स्थिति में शख्स अंतरिम बेल की मांग करता है. अंतरिम बेल देने का फैसला पूरी तरीके से कोर्ट के विवेक पर निर्भर करता है.

शर्तों पर मिलती है ये जमानत

अंतरिम जमानत कुछ शर्तों के साथ मिलती है. वहीं, अंतरिम जमानत को एक से अधिक बार बढ़ाया जा सकता है. हालांकि अंतरिम जमानत की शर्तें इस हिसाब से तय की जाती हैं जिससे आरोपी इस मामले की जांच को प्रभावित न कर सके.

अंतरिम जमानत के दौरान केजरीवाल क्या नहीं कर सकते हैं

सुप्रीम कोर्ट से सीएम अरविंद केजरीवाल को भले जमानत मिल गई हो, लेकिन सीएम केजरीवाल को कुछ नियमों का पालन करना होगा. सीएम केजरीवाल अपनी अंतरिम जमानत के दौरान चुनावी प्रचार कर सकते हैं. वो वोट भी डाल सकते हैं.

हालांकि, अंतरिम जमानत के दौरान सीएम केजरीवाल मुख्यमंत्री के किसी भी आधिकारिक कर्तव्य को नहीं निभा पाएंगे. इसी के साथ सीएम केजरीवाल को मुख्यमंत्री कार्यालय में जाने की भी अनुमति नहीं होगी.

जानिए कितनी प्रकार की होती जमानत

अंतरिम जमानत: अगर कोई व्यक्ति रेगुलर जमानत के लिए आवेदन किया है और इसकी सुनवाई कोर्ट में चल रही है. इस सुनवाई में ज्यादा समय लग रहा है तो कोर्ट से अंतरिम जमानत की मांग की जा सकती है. इसमें आरोपी को कम समय के लिए जेल से बाहर जाने की इजाजत मिलती है.

अग्रिम जमानत: अग्रिम जमानत को एंटीसिपेटरी बेल भी कहा जाता है. ये उन आरोपियों को दी जाती हा, जिनको आशंका होती है कि पुलिस उनको गिरफ्तार कर सकती है. इस आवेदन के लिए कोर्ट में आवेदन करना होता है.

सामान्य जमानत: सामान्य जमानत भारत के हर नागरिक का अधिकार है. अगर किसी आरोप में किसी शख्स को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जाता है तो वह सामान्य जमानत के लिए कोर्ट में अपील कर सकता है. सीआरपीसी की धारा 437 के तहत न्यायालय ऐसे व्यक्ति को साधारण जमानत दे सकता है.

यह भी पढ़ें: सीएम केजरीवाल को SC से बड़ी राहत, 1 जून तक की मिली अंतरिम जमानत

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